
देश में भोपाल, वाराणसी के बाद दूसरा ऐसा शहर होगा जहां सूखे कचरे से टॉरीफाइड चारकोल(कोयला) बनाया जाएगा। इसका उपयोग बिजली उत्पादन के लिए होता है। बिजली उत्पादन के लिए कोयले की कमी को देखते हुए यह भविष्य के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य अफसरों की मौजूदगी में एनटीपीसी और नगर निगम के बीच अनुबंध हुआ।
निगमायुक्त वीएस चौधरी कोलसानी ने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। अनुबंध के तहत भोपाल नगर निगम एनटीपीसी को आदमपुर छावनी में 15 एकड़ जमीन उपलब्ध कराएगा। यहां 400 टन रोजाना सूखे कचरे से टॉरीफाइड चारकोल बनेगा। एनटीपीसी इस पर 80 करोड़ रुपए खर्च करेगा।
खास बात यह भी है कि अभी निगम सूखे कचरे के निष्पादन पर हर साल जो 4 करोड़ 86 लाख 18 हजार रुपए खर्च करता है वह पूरी रकम बचेगी। हाल ही में इसी तरह से टॉरीफाइड चारकोल बनाने के लिए एनटीपीसी ने वाराणसी नगर निगम से भी ऐसा ही अनुबंध किया है। एनटीपीसी इंदौर में भी ऐसा ही प्लांट लगाना चाहता था, लेकिन जमीन नहीं मिली।
निगम एनटीपीसी को आदमपुर छावनी में 15 एकड़ जमीन उपलब्ध कराएगा
सोमवार को ही भोपाल आरएनजी प्राइवेट लिमिटेड और नगर निगम के बीच 200 टन गीले कचरे से बायो सीएनजी बनाने अनुबंध हुआ। कंपनी निगम को 20 साल तक हर साल 83 लाख रुपए रॉयल्टी देगी और बाजार भाव से 5 रुपए कम की दर पर बायो सीएनजी भी मिलेगी। यह प्लांट स्थापित करने पर कंपनी 40 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
खास बात यह है कि निगम अभी गीले कचरे के निष्पादन पर हर साल 2 करोड़ 43 लाख 9 हजार रुपए खर्च करता है, यह रकम भी बचेगी। इन अनुबंध के समय यूएडीडी के प्रमुख सचिव मनीष सिंह और विभाग के कमिश्नर निकुंज कुमार श्रीवास्तव भी मौजूद थे।