Friday, October 3

संत सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट:7 से 8 रैक कोयला नहीं आया तो ठप हो जाएगा बिजली उत्पादन, स्टॉक में दो दिन का कोयला; कांग्रेस उपचुनाव में बना रही मुद्दा

संत सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट समेत प्रदेश के सभी थर्मल पावर ईकाइयों में कोयले का संकट गहरा गया है। सिंगाजी परियोजना में अब रोजाना 6-7 रैक कोयला जरूरी है, वरना बिजली उत्पादन ठप हो सकता है। यदि कोल कंपनी से कोयला नहीं आता है तो दो दिन बाद बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा। स्टॉक में मात्र 52 हजार मीट्रिक टन कोयला है, जबकि रोजाना की खपत 22 हजार मीट्रिक टन की है। इधर, लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने कोयले की कमी और बिजली आपूर्ति को मुद्दा बना रखा है।

हालांकि, परियोजना के अफसरों का कहना है कि, सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना के कुछ इंजीनियर कोयले की सप्लाई बढ़ाने के लिए कोल इंडिया कंपनी से मिलने गए हैं। वैसे तो शुक्रवार शाम तक सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना में 52000 मीट्रिक टन कोयले का स्टॉक बचा हुआ है। मध्यप्रदेश में 10 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की डिमांड है, इसे देखते हुए सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की 1, 2 और 3 नंबर की यूनिट से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। कोयले की सप्लाई थम जाएगी तो यहां बिजली उत्पादन पर ठप हो जाएगा। इससे बिजली संकट की स्थिति बन जाएगी। इसलिए सरकार व मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के चारों पावर प्लांटों में कोयला पहुंचाने का प्रयास कर रही है।

एक यूनिट में 700 से 750 ग्राम लग रहा है कोयला

सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना में बिजली उत्पादन में कोयला खपत ज्यादा हो रही है। वैसे तो 600 से 620 ग्राम कोयला एक यूनिट में लगना चाहिए, लेकिन मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन के दौरान 700 से 750 ग्राम कोयले की खपत हो रही है। इससे कोयले की कमी पावर प्लांट में बनी है। ऐसा ही रहा तो सरकार को रोजाना कोयले के नाम पर करोड़ों रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

तीनों यूनिट से हो रहा बिजली उत्पादन

हमारे इंजीनियर कोल इंडिया कंपनियों से मिलने गए हैं, प्रयास कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा कोयला आए। वैसे तो सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना में 52 हजार मीट्रिक टन कोयला बचा हुआ है। तीन यूनिट से बिजली उत्पादन हो रही है।

– एके शर्मा, मुख्य अभियंता सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना