
शहर के सिंधी समाज के लोग इन दिनों डंडापुरा स्थित मंदिर में भगवान झूलेलाल चालीहा व्रत महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं। यह व्रत महोत्सव सावन मास के पहले सोमवार यानी 26 जुलाई से शुरू हुआ था। चालीहा महोत्सव का समापन 5 सितंबर रविवार को उल्लासपूर्वक किया जाएगा। झूलेलाल मंदिर में पिछले 7 सालों से बहराणा साहिब की अखंड ज्योति भी जल रही है। समाज के लोग झूलेलाल चालीहा व्रत महोत्सव कठिन साधना के साथ विधि-विधान से करते हैं।
सुबह-शाम दोनों समय भगवान की आरती, पूजा के साथ भजन-कीर्तन का आयोजन किया जा रहा है। 5 सितंबर को सुबह 8.30 बजे नियमित आरती, 10 बजे मटकी पूजन, 11 बजे बहराणा साहब का पूजन, 12 बजे आरती, 1 बजे लंगर और अपरान्ह 3 बजे से विसर्जन के साथ व्रत महोत्सव की पूर्णाहुति होगी।
समाजसेवी और व्यापार महासंघ के पूर्व अध्यक्ष सुरेश मोतियानी ने कहाकि आटे की बहराणा साहब बनाकर उसकी पूजा होगी। फिर जल में उसका विसर्जन होगा। झूलेलाल मंदिर में सावन सोमवार, जन्माष्टमी सहित हिंदू समाज के सभी पर्व धूमधाम से बनाए जा रहे हैं।
40 दिनों तक एक टाइम करते हैं भोजन
सिंधी समाज के पुरोहित और भगवान श्री झूलेलालजी मंदिर के पुजारी पं.राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि झूलेलाल चालीहा व्रत महोत्सव काफी कठिनता से पूर्ण होता है। इसमें समाज के महिला-पुरुष सहित सभी श्रद्धालु 40 दिनों तक एक टाइम ही भोजन ग्रहण करते हैं। सुबह-शाम मंदिर में होने वाली नित्य आरती और पूजन में शामिल होते हैं। इसमें रंगारंग कार्यक्रमों के साथ जन्माष्टमी का पर्व भी धूमधाम से मनाया गया।
भगवान झूलेलाल ने की थी धर्म की रक्षा
पुजारी पं. राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि एक बार सिंध क्षेत्र में मृख नामक बादशाह और उसके मंत्री हिंदू समाज के ऊपर धर्मांतरण का दबाव बना रहे थे। उन पर अत्याचार कर रहे थे। इस पर सनातन हिंदू समाज के लोगों ने बादशाह से मिलकर धर्मांतरण के लिए कुछ समय देने की मांग की। बादशाह ने जब उनकी यह मांग मान ली तो समाज के लोगों ने सिंधु नदी के तट पर जाकर लगातार भूखे-प्यासे रहका 40 दिनों तक भगवान की कठिन साधना की।