Saturday, September 27

18 माह बाद खुले स्कूलाें का हाल:स्कूल खुलने के पहले दिन कहीं 25 तो कहीं 10 प्रतिशत बच्चे ही पहुंचे स्कूल

कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका से असमंजस में पालक

विकासखंड में कोरोना संक्रमण के कारण 18 महीने से बंद स्कूल बुधवार को फिर से प्रारंभ हुए लेकिन शहर के स्कूलों बच्चों की उपस्थिति 25 प्रतिशत ही रही। ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं 10 फीसदी बच्चे नजर आए तो दूर दराज स्कूलों में पहले दिन शिक्षक ही दिखाई दिए बच्चे पहुंचे ही नहीं। अभिभावक तीसरी लहर की आशंका के चलते अभी बच्चों को स्कूल भेजने का पूरी तरह मन नहीं बना पाए हैं।

इस कारण सितंबर अक्टूबर तक स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम रहने की उम्मीद है। नगर के कन्या मंडी शाला में पहले दिन बच्चियों को ना तो मध्याह्न भोजन की व्यवस्था रही और न ही उनको सूखा राशन प्राप्त हुआ। जबकि शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के माध्यमिक स्कूल में छात्राओं की उपस्थिति 40 रही वहां छात्राओं को सूखा राशन उपलब्ध कराया गया। विकासखंड शिक्षा अधिकारी मांडवी बिदुआ ने कई स्कूलों का निरीक्षण किया।

दूरदराज इलाकों में कम उपस्थिति

दूरदराज इलाकों के स्कूलों में कहीं 10 प्रतिशत उपस्थिति रही तो कहीं शिक्षकों को बैठकर बच्चों का इंतजार करना पड़ा। कुछ स्कूलों में शिक्षक बच्चों को घर से बुलाने भी पहुंचे लेकिन शहरी क्षेत्र में स्कूलों में उपस्थिति 25 प्रतिशत रही। 18 महीने बाद स्कूलों में जो बच्चे पहुंचे उनके चेहरों पर उत्साह देखा गया।

शिक्षकों ने बताया कि पहला दिन होने के कारण उपस्थिति भले ही कम रही हो लेकिन यह संख्या आने वाले दिनों में बढ़ जाएगी। तीसरी लहर के संभावित खतरे को देखते हुए पालक भी पूरी तरह से बच्चों को स्कूल जाने के लिए उन पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं।

स्कूलों में नहीं है चपरासी तक की व्यवस्था

विकासखंड में कक्षा 6 से 8 तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या कुल 17015 है। इनमें से शासकीय स्कूलों में उनकी संख्या 8671 है। जबकि अशासकीय स्कूलों में 8344 बच्चे पढ़ रहे हैं। शहरी क्षेत्र के अतिरिक्त जहां हायर सेकंडरी या हाई स्कूल उनको छोड़कर शेष स्कूलों में आज भी विद्यार्थी टाट फटि्टयों पर ही बैठकर अध्ययन कर रहे हैं। कई स्कूलों में चपरासी तक की व्यवस्था नहीं है। शिक्षकों को साफ सफाई की व्यवस्था कराना पड़ती है।

छात्र-छात्रज्ञओं को पिछले साल के नहीं मिले गणवेश
शासकीय स्कूलों में ड्रेस अर्थात गणवेश वितरण का जिम्मा आजीविका मिशन को सौंपा गया है। वर्ष 2020-21 के तहत विद्यार्थियों ड्रेस वितरण का कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ। वर्तमान में 65 फीसदी विद्यार्थियों को ही पिछले साल की गणवेश मिल पाई है।

35 फीसदी विद्यार्थी अभी भी गणवेश मिलने के इंतजार में हैं। इस कारण कई स्कूलों में पहले दिन ही विद्यार्थी बिना ड्रेस के देखे गए। जबकि वर्ष 2021- 22 के लिए गणवेश वितरण का मामला अधर में अटका हुआ है। इसकी पुष्टि बीआरसी कार्यालय द्वारा भी की गई है।

30 प्रतिशत बच्चों को नहीं मिला अब तक सूखा राशन
कोरोना संक्रमण के चलते मध्याह्न भोजन व्यवस्था को बंद रखा गया है। उसके स्थानों पर स्व सहायता समूह द्वारा स्कूली बच्चों के लिए सूखा राशन उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन अभी विकासखंड में 70 फीसदी विद्यार्थियों को सूखा राशन मिला है। 30 प्रतिशत बच्चों को अब तक सूखा राशन नहीं मिला। शासकीय कन्या मंडी शाला में सुखा राशन भी नहीं वितरित हुआ। जबकि शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय में इसका वितरण प्रारंभ हुआ।

बच्चों की कम रही उपस्थिति
लंबे समय बाद शिक्षण कार्य प्रारंभ होने से पहले दिन करीब 25 प्रतिशत विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। सूखा राशन वितरण का कार्य 30 प्रतिशत और पिछले साल की गणवेश वितरण का कार्य 35 प्रतिशत शेष है।-कपिल तिवारी, बीआरसी गंजबासौदा।