Friday, September 26

भिंड किले में राधा-कृष्ण के साथ विराजमान हैं रुक्मणी, साथ ही होती है पूजा; 400 साल पहले भदावर राजा ने बनवाया था

भगवान राधा-कृष्ण के मंदिर पूरे देश में जगह-जगह हैं, लेकिन भिंड में एक ऐसा मंदिर है जहां दोनों के साथ रुक्मणी भी विराजमान हैं। ऐसे मंदिर देश में बहुत कम हैं। इस मंदिर के बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी है। जन्माष्टमी पर जानिए इस मंदिर की पूरी कहानी…

भिंड शहर के बीचो बीच पुरानी बस्ती में भदावर शासकों का एक किला है। इस किले का निर्माण करीब 17वीं सदी में भदावर राजा ने कराया गया था। किले के निर्माण के साथ ही यहां भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बनवाया गया था। इस मंदिर के बारे में किवदंती है कि भदावर राजा माह सिंह की पत्नी भगवान श्रीकृष्ण की अनंत भक्त थीं। वे अपने आराध्य को अपने राजशाही किले में विराजमान करना चाहती थी। इस पर राजा ने मंदिर की स्थापना 400 साल पहले कराई थी।

राधा और रुक्मिणी की एक साथ पूजा
मंदिर की खास बात यह है कि मुरली मनोहर रूप में बांसुरी बजाते भगवान श्रीकृष्ण के दायीं ओर राधा तो बायीं ओर उनकी पत्नी रुक्मणी विराजमान हैं। रुक्मणी माता लक्ष्मी स्वरूपा हैं। धन, वैभव, एश्वर्य की देवी हैं। वहीं राधा अनंत भक्ति का स्वरूप हैं। भदावर रानी राधा और रुक्मणी को एक साथ विराजमान करके भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति पूजा करती थी। ऐसा कहा जाता है यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति से प्रेरित होकर बनवाया गया था।

मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से पूजा अर्चना से जहां राधा कृष्ण की कृपा मिलती है, वहीं लक्ष्मी स्वरूपा देवी रुक्मिणी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस मंदिर में दर्शन करने से राधा कृष्ण और लक्ष्मी स्वरूपा भगवती रुक्मिणी का आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन को सुखमय और वैभवमय की कामना की जाती है।

राजाशाही ठाठ बाट से निकलती थी पालकी यात्रा
इस मंदिर में भदावर राजा माह सिंह के समय से तीज त्योहार बड़े की उल्लास के साथ मनाए जाते थे। यहां राजाशाही जमाने की पालकी भी है। अब इस मंदिर पर एक पुजारी रहते हैं, जो हर दिन पूजा करते हैं। यह मंदिर शासन के अधीन है। मंदिर के आगे भाग में मां काली विराजमान है। वहीं मंदिर परिकोट की परिक्रमा मैं प्राचीन शिवलिंग भी स्थापित है।

मंदिर के जीर्णोद्धार में निकला था जलकुंड
इस मंदिर की रंगाई पुताई और साफ-सफाई कराकर जीर्णोंद्धार कुछ साल पहले शासन की ओर से कराया जा रहा था। उस समय मंदिर के ठीक सामने एक जलकुंड खुदाई में निकला था। मंदिर के बीचोंबीच का तुलसी का पौधा लगाने के लिए पक्का गमला भी निकला था। इस मंदिर में पूजा के बाद दीप रखने के आले भी है। पत्थर पर अद्भुत नक्काशी उकेरी गई है।

इस मंदिर के बारे में जिला पुरातत्व अफसर वीरेंद्र पांडेय का कहना है कि यह प्राचीन मंदिर है। यहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा और रुक्मिणी विराजमान हैं। इस तरह के मंदिर देश में बहुत कम देखने को मिलते हैं।