
कोरोना संक्रमण के चलते दूसरे साल भी भुजरियों का चल समारोह आयोजित नहीं हुआ। इसके चलते छोटे-छोटे मोहल्ला दलों के माध्यम से भुजरियों का विसर्जन शीतला माता मंदिर पाराशरी घाट और बेतवा रिपटा घाट पर किया गया। इससे पहले एक स्थान पर भुजरियों को एकत्रित कर पूजा अर्चना कर आरती की गई। इसके बाद जिन परिवार ने भुजरिया स्थापित की थी महिला पुरुष उनको विसर्जन के लिए ले गए। यह सिलसिला सोमवार को नगर के अलग-अलग स्थानों पर देखने मिला। रहवासी पहले स्थापित भुजरियों को किसी देव स्थान या सार्वजनिक मैदान में ले गए। वहां सामूहिक रूप से पूजा और आरती की।
भुजरिया विसर्जन के बाद भगवान को अर्पित के साथ ही लोगों ने एक दूसरे के यहां जाकर हाथ में अन्न की बालियां साक्षी रखकर जाने अनजाने में हुई भूल के लिए एक दूसरे से क्षमा मांगी और भविष्य में आशीर्वाद बनाए रखने के लिए याचना की। पंडित मुन्ना लाल शास्त्री ने बताया कि यह पर्व साल भर में की गई अपनी भूलो के पश्चाताप और पड़ोसियों से क्षमा मांगने के लिए मनाया जाता है।