
देश में अब 18 साल से ऊपर के सभी लोगों का टीकाकरण शुरू हो चुका है। केंद्र सरकार बार-बार कह भी रही है कि टीकाकरण अभियान पूरी तेजी से चल रहा है, टीकों की कहीं कोई कमी नहीं है। लेकिन सरकार के अपने ही आंकड़े इस बात से मेल नहीं खाते। 18 से 44 साल तक के सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन 1 मई से शुरू हुआ है। 6 मई तक के आंकड़े बताते हैं कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर इस आयु वर्ग के केवल 11 लाख 80 हजार 798 लोगों को ही वैक्सीन लग पाई है।
18 से 45 साल आयु वर्ग के लिए वैक्सीन का इंतजाम राज्य सरकारों को करना है और राज्य लगातार ये कह रहे हैं कि वैक्सीन की सप्लाई रुक गई है। अब अगर मौजूदा हाल की तुलना 45+ के सभी लोगों के टीकाकरण की शुरुआत से करें तो स्थिति और स्पष्ट होती है।
1 अप्रैल से 45 से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को टीके लगने शुरू हुए थे। तब राज्यों के पास टीकों की कमी नहीं थी, इसलिए किसी भी राज्य से टीकों की कमी की शिकायत नहीं आई, बल्कि रोज लगने वाले टीकों का औसत छह दिन में ही 19 लाख से 36 लाख पहुंच गया।
इन छह दिनों में देशभर में कुल 2.19 करोड़ टीके लगे। 16 जनवरी के बाद यही छह दिन ऐसे थे, जब देश में सबसे ज्यादा टीके लगे। लेकिन अब रोज लगने वाले टीकों का औसत फिर से 19 लाख रह गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि 18 से 44 साल वालों में रोज लगने वाले टीकों का औसत सिर्फ 1.97 लाख ही है।
45+ के लिए भी इतने टीके नहीं कि राज्य लॉन्ग टर्म प्लानिंग करें, 10 दिन में 10 हजार सेंटर घटे
राज्यों का कहना है कि 45+ के लोगों के लिए केंद्र सिर्फ अगले 3 दिन में दी जाने वाली वैक्सीन का आंकड़ा देता है। बिना जानकारी के दूर-दराज के सेंटर्स की प्लानिंग संभव नहीं है। इसलिए वैक्सीन की कमी के चलते 10 दिनों में करीब 10 हजार वैक्सीनेशन सेंटर घटाए गए हैं।
6 मई के आंकड़ों के मुताबिक राज्यों को अगले 3 दिन में 28 लाख डाेज मिलेंगे। हालांकि राज्यों के पास करीब 89 लाख वैक्सीन की डोज पहले से हैं। लेकिन बड़े राज्यों में रोज औसत टीकाकरण के हिसाब से 4-5 दिन के ही डोज बचे हैं। केंद्र ने अभी तक कुल 34 करोड़ 60 लाख डोज का ऑर्डर किया है, जिनमें से 16 लाख डोज का ऑर्डर 28 अप्रैल का है।