
हावड़ा की बाली सीट पर बीजेपी ने टीएमसी से आईं वैशाली डालमिया को टिकट दिया है, तो वहीं टीएमसी ने डॉ. राणा चटर्जी को उम्मीदवार बनाया है। वैशाली 2016 में इस सीट से चुनाव जीत चुकी हैं तो डॉ. राणा भी टीएमसी की सीनियर लीडर हैं। हालांकि इन दोनों ही कैंडिडेट पर सीपीआई-एम की कैंडिडेट दीप्सिता धर भारी पड़ती दिखाई दे रही हैं। दीप्सिता अभी महज 27 साल की हैं और बाली विधानसभा की ही रहने वाली हैं।
वे दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के छात्र विंग की ऑल इंडिया ज्वॉइंट सेक्रेटरी भी हैं। उनकी सादगी लोगों को पसंद आ रही है। दीप्सिता कहती हैं, ‘मैं 17 साल की उम्र से छात्र राजनीति में एक्टिव हूं। कोलकाता में पढ़ते हुए टीएमसी के खिलाफ लड़ी। जेएनयू में बीजेपी के खिलाफ आंदोलन किए। हमारी पार्टी ने उन्हीं युवाओं को इस बार टिकट दिया है, जो पिछले दस साल से युवाओं के हित में सड़कों पर हैं और आंदोलन कर रहे हैं। हम युवा हैं और विधानसभा में युवाओं के मुद्दे अच्छे से उठा सकते हैं। इसलिए हमें युवा भरपूर सहयोग कर रहे हैं।’
27 साल की आईशी, 28 साल की प्रथा भी मैदान में
लेफ्ट ने इस बार कई युवा चेहरों को कैंडिडेट बनाया है। जमुरिया सीट से लेफ्ट की उम्मीदवार 27 साल की आईशी घोष हैं। वे जेएनयू की छात्रसंघ अध्यक्ष हैं। साल 2020 में जब जेएनयू में हमलावर घुसे थे, तब आईशी की फोटोज खूब वायरल हुईं थीं। वे चोटिल भी हो गईं थीं और दीपिका पादुकोण ने जेएनयू पहुंचकर उनका समर्थन किया था। तब से ही आईशी सुर्खियों में हैं। पश्चिम बर्धमान जिले में आने वाली इसी सीट पर 2016 में भी सीपीआई-एम के जहांआरा खाना ही जीते थे। इस बार यहां आईशी का मुख्य मुकाबला टीएमसी के हरेराम सिंह के साथ दिख रहा है।
इसी तरह 28 साल की प्रथा ताह सीपीएम की दक्षिण बर्धमान से कैंडिडेट हैं। प्रथा के पिता भी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे। साल 2021 में उनकी हत्या कर दी गई थी और हत्या का आरोप टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लगा था। पॉलिटिक्स ज्वॉइन करने के पहले प्रथा ने मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है। 37 साल की मीनाक्षी मुखर्जी को लेफ्ट ने नंदीग्राम से कैंडिडेट बनाया है। हालांकि यहां मुख्य मुकाबला ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के बीच ही है।
सीपीएम ने 27 साल के सृजन भट्टाचार्य को सिंगुर से कैंडिडेट बनाया है। वे कहते हैं, मेरी लड़ाई किसी कैंडीडेट के खिलाफ नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार, कटमनी के खिलाफ है। लेफ्ट नेता शंकर मोइत्रा कहते हैं, पार्टी ने अचानक किसी युवा को टिकट नहीं दिया बल्कि ये सब वो लोग हैं, जो पिछले कई सालों से जमीनी आंदोलनों से जुड़े हुए हैं और सड़क पर उतरकर संघर्ष कर रहे हैं। इनकी अपनी आइडियोलॉजी है और ये देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। इसलिए इन्हें मौका दिया गया है।
युवाओं, महिलाओं को पसंद आ रहे युवा चेहरे
जो युवा चेहरे मैदान में हैं, उन्हें युवा और महिलाएं पसंद करती दिख रही हैं। बाली में रहने वाले सूरजीत अधिकारी कहते हैं, मैं नौजवान हूं। पढ़ा-लिखा हूं, लेकिन मेरे पास नौकरी नहीं है। मुझे दीप्सिता दीदी आगे दिख रही हैं क्योंकि उनकी सोच नई है। वो नौकरी की बात कर रही हैं। गद्दारी नहीं करेंगी। पम्पी भारती कहती हैं, दीप्सिता धर सबसे अच्छी लग रही हैं क्योंकि वो एजुकेटेड हैं और घर-घर में जो बेकारी की समस्या है, उसे दूर करने की कोशिश करेंगी। उनके मन में कोई खोट नहीं है।
सीपीआई-एम लीडर शंकर मोइत्रा कहते हैं, पार्टी ने किसी भी युवा को अचानक कैंडिडेट नहीं बनाया। जो भी कैंडिडेट बनाए गए हैं, वे वो युवा हैं जो बीते दस सालों से जमीनी राजनीति में एक्टिव हैं और युवाओं के लिए आंदोलन कर रहे थे। दीप्सिता कहती हैं, हमें जीतने का तो पूरा कॉन्फिडेंस है, लेकिन डर पोलिंग वाले दिन हिंसा होने का है। टीएमसी और बीजेपी दोनों ही हिंसा करवा सकती हैं, क्योंकि बाली में उनकी स्थिति ठीक नहीं है।