Wednesday, September 24

चिन्नम्मा के राजनीतिक संन्यास के मायने:शशिकला BJP को नाराज नहीं करना चाहती, बल्कि वे चुनाव बाद AIADMK लीडरशिप कब्जाने में BJP की मदद चाहती हैं

  • सियासी जानकारों का कहना कि शशिकला ‘एक कदम आगे, दो कदम पीछे’ की रणनीति पर चल रही हैं
  • चर्चा है कि शशिकला को संन्यास के लिए राजी करने के पीछे भाजपा है, क्योंकि उनकी वजह से AIADMK के वोट बंट रहे थे

तमिलनाडु में शशिकला के संन्यास की घोषणा के बाद कई समीकरण अचानक से बदल गए हैं। BJP और AIADMK गठबंधन के लिए जेल से निकलीं शशिकला धीरे-धीरे एक चुनौती बनती जा रही थी। लेकिन, बुधवार को शशिकला ने अचानक राजनीति से संन्यास की घोषणा कर सबको चौंका दिया।

चर्चा है कि शशिकला को संन्यास के लिए राजी करने में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की बड़ी भूमिका है, लेकिन राज्य के सियासी पंडित शशिकला के संन्यास की घोषणा को एक बड़े रणनीतिक कदम के रूप में देख रहे हैं।

शशिकला के जेल से बाहर आने के बाद उनकी पुरानी पार्टी AIADMK ने उनको पार्टी में वापस लेने से साफ मना कर दिया। इसके बाद शशिकला ने अन्नाद्रमुक के मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन भी किए थे। ऐसे में इस फैसले से सबसे ज्यादा खुश AIADMK के मौजूदा नेतृत्व को होना चाहिए था। लेकिन, AIADMK खुद शशिकला के इस फैसले को संदेह की नजरों से देख रही है।

राजनीतिक जानकार कहते हैं कि ‘मौजूदा स्थिति में नई पार्टी बनाना उनके लिए फायदे का सौदा नहीं दिख रहा। ऐसे हालात में शशिकला एक कदम आगे, दो कदम पीछे की रणनीति पर चल रही हैं।’ उनके इस फैसले को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

पार्टी की हार का ठीकरा फूटने से बचना
जयललिता की सहयोगी और उनकी विरासत का दावेदार होने के अलावा शशिकला थेवर कम्युनिटी से आती हैं। यह पार्टी का पुराना वोट बैंक है और इस पर शशिकला की मजबूत पकड़ है। पार्टी में भी शशिकला के काफी समर्थक हैं। फिलहाल, AIADMK को एंटी इनकंबेंसी का नुकसान होता दिख रहा है। ऐसी स्थिति में अगर चुनाव में पार्टी हारती है तो इसका सारा ठीकरा शशिकला पर फूटेगा और पार्टी में उनकी वापसी के रास्ते हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे। संन्यास के बाद वो इस दुविधा से भी बाहर आ गईं हैं कि चुनाव में किसका पक्ष लेना है।

DMK को फायदा होने से रोकना
DMK को भी शशिकला के इस निर्णय से झटका लगा है। अगर शशिकला AIADMK की मौजूदा लीडरशिप का विरोध करती तो वोट बंट जाते और इसकी सीधा फायदा DMK को मिलता। लेकिन, अब शशिकला के साइलेंट हो जाने से वोटों का विखराव रुकेगा। चुनावी लिहाज से इस फैसले से DMK को भी झटका लगा है। जानकारों का कहना है कि शशिकला AIADMK की लीडरशिप से जरूर नाराज हैं,लेकिन वे यह नहीं चाहेंगी कि इसका फायदा DMK उठाए।

BJP को खुश करना
BJP शुरू से इस पक्ष में थी कि शशिकला, पलानीसामी और पन्नीरसेल्वम के गुट में समझौता हो। BJP ने समझौते के लिए सभी पक्षों से बात भी की थी। BJP ने भी शशिकला के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि शशिकला भाजपा आलाकमान को नाराज नहीं करना चाहती हैं। उनकी नाराजगी सिर्फ AIADMK की मौजूदा लीडरशिप से है। ऐसे में भाजपा के साथ तालमेल बिठाकर वे आगे AIADMK में अपनी भूमिका तलाश सकती हैं। भाजपा के साथ अपनी ट्यूनिंग बेहतर रखकर वे उसे यह समझाने की कोशिश करेंगी कि AIADMK की लीडरशिप में उनका दखल होने पर राज्य में BJP ज्यादा सहज रह सकती है। चुनाव बाद AIADMK में लीडरशिप चेंज की स्थिति में वे भाजपा की मदद भी चाहेंगी।

जनता की सहानुभूति हासिल करना
AIADMK के चुनाव हारने के स्थिति में शशिकला को हार का जिम्मेदार माना जा सकता था। लेकिन, अब संन्यास के बाद उन्हें जनता की सहानुभूति मिलेगी। जयललिता का सपोर्ट बेस भी उनके साथ रहने का अनुमान है। लिहाजा यह सन्यास शशिकला को विलेन बनने से रोकेगा और उनकी आगे की राजनीति में मददगार होगा।

AIADMK की हार के बाद पार्टी पर कब्जा की मंशा

तमाम चुनावी सर्वे में सत्ताधारी AIADMK को DMK से पीछे दिखाया जा रहा है। सत्ता विरोधी लहर का भी नुकसान हो रहा है। साथ ही पार्टी में ईपीएस और ओपीएस गुटबाजी भी सक्रिय है। दूसरी तरफ, शशिकला 6 साल चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। अगर AIADMK चुनावों में हार जाती है तो पार्टी में आपसी लड़ाई और गुटबाजी तेज हो जाएगी। ऐसी स्थिति में शशिकला के लिए पार्टी के बड़े धड़े को अपने पक्ष में करना आसान होगा और एक बार फिर कमान उनके हाथ आ सकती है।

अब सबकी निगाहें शशिकला के भतीजे दिनाकरण पर
शशिकला के बाद उनके गुट के अघोषित नेता उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरण है। दिनाकरण ने संन्यास के बाद कहा कि वह इससे सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि, हमने 30 मिनट तक इस निर्णय को रोके रखा लेकिन शशिकला नहीं मानीं। दिनाकरण ने शशिकला के जेल जाने के बाद अपनी पार्टी भी बना ली थी। दिसंबर 2017 में उन्होंने आरके नगर की महत्वपूर्ण सीट पर उपचुनाव में डीएमके और एआईएडीएमके को हराया था। 2019 के आम चुनावों में 4 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था। लिहाजा वो AIADMK के लिए एक बड़े और संभावित खतरा बने हुए हैं। शशिकला के संन्यास के बाद दिनाकरण क्या करते हैं, अब इस पर सभी की निगाह हैं।