
आरोप- अफसरों की लापरवाही से नहीं हो पाई उम्मीदवारों की नियुक्ति
पटवारी भर्ती-2017 के तहत भोपाल में 178 पदों पर भर्ती होनी थी, लेकिन रिजल्ट आने के ढाई साल बाद भी यह सभी पद भी नहीं भर सके। भोपाल जिले की पहली काउंसलिंग के लिए 153 उम्मीदवार उपस्थित हुए थे। 25 अनुपस्थित रहे और वहीं 10 उम्मीदवारों ने ज्वाइन करने के बाद त्याग पत्र दे दिया। इस तरह पहली काउसंलिंग मेें 35 पद खाली रह गए। दूसरी, तीसरी काउंसलिंग में कुल 14 उम्मीदवार उपस्थित हुए।
वहीं भोपाल के लिए चौथी और पांचवी काउंसलिंग आयोजित ही नहीं की गई और 21 पद खाली रहे। इन पर वेटिंग के उम्मीदवारों का अधिकार था, जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में 10 काउंसिंल तक हुईं। लेकिन भोपाल के पदों को सार्वजनिक नहीं कर इन पर भर्ती नहीं की गई। यह जानकारी उम्मीदवारों ने आरटीआई से प्राप्त की है। उम्मीदवारों का आरोप है कि यही स्थिति सभी जिलों में है। यही कारण है कि प्रदेशभर में 1100 से अधिक पद खाली हैं। यदि इतने पद खाली नहीं हैं तो राज्य स्तर पर जानकारी सार्वजनिक करें।
वेटिंग लिस्ट में शामिल उम्मीदवारों ने बताया कि यदि कोई उम्मीदवार उपस्थित नहीं होता है तो प्रतीक्षा सूची से अभ्यर्थी की रिक्त पद पर नियुक्ति की जाती है। यह नियम राजपत्र में प्रकाशित किया गया। इसके बाद भी इसका सही ढंग से पालन नहीं किया गया।
ढाई साल पहले… 26 मार्च 2018 को घोषित हुआ था परीक्षा का रिजल्ट
उम्मीदवार परेशान इसलिए भी हैं कि पटवारी भर्ती-2017 के लिए प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) द्वारा 9235 पदाें के लिए 9 दिसंबर 2017 से परीक्षा ली गई थी। रिजल्ट 26 मार्च 2018 को घोषित हुआ, यानी ढाई साल से अधिक समय बीत गया है, लेकिन सभी पद नहीं भरा सके।
उम्मीदवारों का दर्द… सभी जगह लगाई गुहार, नहीं हो रही सुनवाई
उम्मीदवार का कहना है कि प्रदेश में 1100 से अधिक पद खाली हैं और वेटिंग में शामिल पात्र उम्मीदवारों की संख्या 1 हजार से कम है। भर्ती के लिए सीएम, विभिन्न मंत्रियों व प्रदेश के कई सांसदों के अलावा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को भी ज्ञापन देकर इन पदों पर भर्ती की मांग कर चुके हैं, लेकिन पूरी नहीं की जा रही है।
पदों की संख्या सरप्लस हो रही थी, इसलिए दूसरे जिलों में शिफ्ट किया
भोपाल में एक्सेस पद विज्ञापित हो गए थे। यहां पदों की संख्या सरप्लस हो रही थी, इसलिए इन पदों को रीवा सहित विभिन्न जिलों में शिफ्ट किया गया है। करीब 200 पद ही खाली हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो उम्मीदवारों के नहीं आने से बचे हैं और वे हाईकोर्ट पहुंच गए।
ज्ञानेश्वर पाटिल, आयुक्त, भू-अभिलेख