Tuesday, September 23

निजीकरण की ओर बढ़ते कदम:अब बिजली कंपनी भी निजी हाथों में जाएगी, बिल से लेकर शिकायत तक में होगी दिक्कत

  • केंद्र सरकार ने भेजा मसौदा, शुरुआत फायदे वाली कंपनियों से होगी
  • पहले चरण में किसानों को बिल में सीधे अनुदान की व्यवस्था खत्म, 25 हजार कर्मी आउट सोर्स पर लेंगे

देश में मुनाफे वाली बिजली कंपनी को पहले चरण में निजी हाथों में सौंपे जाने का मसौदा केेंद्र सरकार ने राज्यों को जारी कर दिया है। इसके तहत एक रुपए में बिजली कंपनी को संचालन के लिए निजी कंपनी को सौंप दिया जाए। इसकी सुगबुगाहट के साथ ही चीफ इंजीनियर से लेकर लाइनमैन तक के कर्मचारी ने बिजली कंपनी निजीकरण विरोधी मोर्चा भी गठित कर दिया हैै। वहीं निजीकरण की ओर धीरे-धीरे कदम भी बढ़ना शुरू हो गए हैं।

पहले चरण में किसानों को बिल में सीधे अनुदान देने की व्यवस्था खत्म कर दी है। सरकार अब खातों में पैसा डालने की बात कह रही है। वहीं स्थायी कर्मचारी की नियुक्ति के बजाए कंपनी में 25 हजार कर्मचारी आउट सोर्स के जरिए रखे जाएंगे। इसके लिए नेशनल लेवल पर टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं।

विगत 20 सितंबर को केंद्रीय उर्जा मंत्रालय ने राज्यों को अपने-अपने संभागों में मुनाफे में चल रही बिजली कंपनी को निजी हाथों में सौंपे जाने के निर्देश जारी किए गए थे। प्रदेश में मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी बिजली सप्लाय करती हैं। इनमें पश्चिम क्षेत्रीय (इंदौर-उज्जैन संभाग) ही ऐसी कंपनी है, जो मुनाफे में चल रही है। अन्य राज्यों की बात करें तो पंजाब में पांच, उत्तरप्रदेश में एक, चंडीगढ़ की कंपनी फायदे में है।

केंद्र सरकार के निर्देश हैं, पर अभी तैयारी नहीं: एमडी
बिजली कंपनी के एमडी अमित तोमर का कहना है कि केंद्र सरकार ने निर्देश तो जारी किए हैं, लेकिन अभी निजीकरण की तैयारी नहीं हैै। शासन से अभी कोई निर्देश नहीं मिले।

विरोध शुरू, सीएम को दिया ज्ञापन
निजीकरण विरोधी मोर्चा के सदस्य जीके वैष्णव, शंभूनाथ सिंह का कहना है कि 2003 में बिजली विभाग खत्म कर कंपनीकरण भी इसी तरह हो गया था। मुनाफे वाली कंपनी में स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति ठीक से नहीं की जा रही है। कर्मचारी आउट सोर्स करना निजीकरण की ओर कदम बढ़ाने के समान है। निजीकरण ना हो इसके लिए तीनों वितरण कंपनियों में रणनीति बन रही है। सीएम, ऊर्जा मंत्री को इसे रोकने के लिए ज्ञापन भी दे चुके हैं।

उज्जैन में निजी हाथों में काम सौंपने का प्रयोग हो चुका है फेल, कंपनी को टर्निनेट किया था
रिटायर्ड अधीक्षण यंत्री सुब्रतो राय का कहना है कि उज्जैन में वितरण, बिल वसूली का काम निजी कंपनी को दिया था। तीन साल पहले उज्जैन में एक साथ 10 इंच पानी बरसा तो सभी फीडर डूब गए थे। उज्जैन पानी के साथ अंधेरे में डूब गया था। निजी कंपनी भी काम छोड़कर भाग गई थी। तब इंदौर से स्टाफ भेजकर सप्लाय चालू करवाई थी। उसके बाद निजी कंपनी को टर्मिनेट कर बिजली कंपनी ने व्यवस्था अपने हाथों में ली थी।

निजीकरण से उपभोक्ता के लिए बड़ा नुकसान
बिजली उपभोक्ता सोसायटी के डाॅ. गौतम कोठारी का कहना है कि बिजली कंपनी निजी हाथों में जाती है तो इससे उपभोक्ता को बड़ा नुकसान होगा। अभी बिल की शिकायत होने पर जोन स्तर पर सुनवाई होती है। सरकारी कर्मचारी में निलंबन, वेतनवृद्धि रुकने, ट्रांसफर होने का डर रहता है, लेकिन निजीकरण में उपभोक्ता परेशान होगा। निजी कंपनी मनमाने बिल भेजेगी तो सुधारने में दिक्कत होगी। बिल वसूली भी सख्ती से होगी। रिकवरी एजेंसी तक को इस काम के लिए लगाया जा सकता है।