Tuesday, September 23

नरक चतुर्दशी को ये 14 नाम बोलकर करें यम तर्पण

875_bउज्जैन। कार्तिक मास के कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी कहते हैं। इस बार यह पर्व 22 अक्टूबर बुधवार को है। इस दिन यमराज की पूजा व व्रत का विधान है। नरक चतुर्दशी से जुड़ी कई कथाएं हमारे धर्म ग्रंथों में मिलती हैं।
पूजन विधि- इस दिन शरीर पर तिल के तेल की मालिश करके सूर्योदय के पूर्व स्नान करने का विधान है। स्नान के दौरान अपामार्ग को शरीर पर स्पर्ष करना चाहिए। पामार्ग को निम्र मंत्र पढ़कर मस्तक पर घुमाना चाहिए स्नान करने के बाद शुद्ध वस्त्र पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके निम्र मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए। यह यम तर्पण कहलाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
ऊं यमाय नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम: ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं वृकोदरय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्ताय नम:। इस प्रकार तर्पण कर्म सभी पुरूषों को करना चाहिए, चाहे उनके माता-पिता गुजर चुके हों या जीवित हों। फिर देवताओं का पूजन करके शाम के समय यमराज को दीपदान करने का विधान है। दीपक जलाने का कार्य त्रयोदशी से शुरू कर करके अमावस्या तक करना चाहिए। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का पूजन करने का भी विधान बताया गया है क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैं और अंत में उवे वैकुंठ में जगह मिलती है।