नईदिल्ली। गंगा सफाई योजना पर केंद्र सरकार के रवैये से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फाटकार लगाई है। कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सरकार की कार्ययोजना ब्यूरोक्रेटिक है और इससे तो गंगा 200 साल में भी साफ नहीं हो पाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह तीन हफ्ते में गंगा सफाई की चरणबद्ध योजना बनाकर पेश करे। गंगा सफाई पर केंद्र सरकार के एफिडेविट पर सुप्रीम कोर्ट असंतुष्ट है और वह गंगा सफाई अभियान को जल्द से जल्द अमलीजामा पहनाने के पक्ष में हैं। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह गंगा सफाई योजना को सामान्य भाषा में समझना चाहता है।
कोर्ट ने कहा कि कोशिश करिए कि अगली पीढ़ी को गंगा अपने वास्तविक स्वरूप में मिले। हमारी जिंदगी में तो पता नहीं। न्यायालय करेगा सरकार की मदद:- न्यायालय ने कहा कि सरकार से अपेक्षा है कि वह परियोजना पर चरण बद्ध तरीके से अमल का लक्ष्य निर्धारित करे। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि औद्योगिक इकाइयां काननू का पालन नहीं करती हैं तो शीर्ष अदालत कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से सरकार की मदद करने में संकोच नहीं करेगी।
48 शहरों में शुरू होगा काम-गौरतलब है कि गंगा कि सफाई पर केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में रोडमैप पेश किया था। सरकार ने कहा है कि पांच राज्यों में 76परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। इन परियोजनाओं पर कुल खर्च करीब पांच हजार करोड़ रूपये आएगा। यह खर्च राज्यों के चुनिंदा 48 शहरों में गंगा को बचाने के लिए तीन स्तरों पर कार्यों के लिए किया जाएगा।
कोर्ट पहले भी उठा चुका है सवाल- उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता मिशन के निर्देशक की ओर से यह हलफनामा हाल ही में दाखिल किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को नरेंद्र मोदी सरकार से कहा था कि आखिर क्यों पवित्र नदी के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए जा रहे। साथ ही सरकार से 2500 किलोमीटर लंबी नदी को प्रदूषण मुक्त किए जाने का रोडमैप तलब किया था। सरकार ने कहा है कि 29 बड़े शहरों, 23 छोटे शहरों और 48 नगरों से गुजरने वाली गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त कराने के चुनाव पूर्व वायदे को पूरा करने के लिए वह कृतसंकल्प है। न्यायालय ने कहा कि दूसरे देशों से मिलने वाली वित्तीय सहायता को लेकर चिंतित नहीं है परंतु उसकी चिंता है कि 2500 किमी लंब नदी की सफाई परियोजना करने के बार में आम आदमी को कैसे समझायेंगे।