Wednesday, September 24

एकजुटता से होगा तालाब का संरक्षण

bmc proposed area.... khabar.... irshad qureshiभोपाल। राजधानी के बड़े तालाब के मास्टर प्लान को लेकर सेप्ट ने अपनी रिपोर्ट साधिकार समिति के सामने चर्चा के लिए पेश की। नगरीक प्रशासन एवं विकास विभाग में सेप्ट की ओर से यहां पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया गया, जहां करीब पौन घंटे प्रेजेंटेशन में रिपोर्ट से जुड़ी स्लाइड्स दिखाई गई। बताया जा रहा है कि रिपार्ट पर अंतिम मुहर लगाने से पहले 15 दिन तक सुझाव मंगाए जाएंगे, जिसमें देशभर के सभी तालाबों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर किए गए ठोस कार्यों व पोजेक्टों को शामिल कर सेफ्ट पुन: अपनी रिपार्ट साधिकार समिति के सामने रखेगा।
जानकारी के अनुसार राजधानी के बड़े तालाब का संरक्षण और संवर्धन सहित कैचमेंट एरिया व जल ग्रहण क्षेत्र को लेकर सेफ्ट ने अपनी रिपार्ट तैयार कर ली है। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक सेप्ट सेंटर फॉर इनवायरमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलोजी यूनिवर्सिटी अहमदाबाद में स्थित है, जिसे बड़ा तालाब बचाने के लिए मास्टर प्लान बनाने का जिम्मा सालों पहले से सौंपा गया है। सालों की मेहनत के बाद सेफ्ट ने अपनी पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसे शनिवार को संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में महापौर कृष्णा गौर की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति के सामने चर्चा के लिए रखा गया। बताया जाता है कि इस बैठक में कई विभागों के अधिकारी मौजूद थे। बताया जाता है कि रिपोर्ट की स्थिति पता करने समय-समय पर बैठक की जाती है। बड़ा तालाब को बचाने सेप्ट की रिपोर्ट में तालाब को संरक्षित करने के साथ ही तालाब कैचमेंट में प्रभावित किसानों का भी ध्यान रखने के निर्देश दिए गए। रिपोर्ट में तालाब बचाने के देशभर मेें सफल् मॉडल को शामिल करने को गया है। तालाब किनारे व इसके कैचमेंट में निर्माण प्रतिबंधित करने से कहीं विकास व तालाब संरक्षण में असंतुलन की स्थिति तो नहीं बन जाएगी, इसके सभी व्यवहारिक पक्षों का अवलोकन करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए सेप्ट को 15 दिन का समय दिया है। सुझावों को शामिल कर फिर से इस पर चर्चा होगी और रिपोर्ट मंजूर कर दी जाएगी। बताया जाता है कि सेप्ट ने बड़े तालाब को तीन जोनों में बांटा है। जिसमें पी-1, पी-2, व पी-3 जोन बनाए गए हैं। सभी जोनों में निर्माण के नियम भी अलग-अलग हैं। इन जोन में एफटीएल से निर्माण की दूरी अलग-अलग कर निर्माण नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है। पी-1 इसमें वन विहार से लेकर खानगांव तक का क्षेत्र शामिल किया है। यह शहरी क्षेत्र है, इसमें निर्माण की दूरी पहले की ही तरह तालाब के फुल टैंक लेवल से 50 मीटर रखी गई है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सिर्फ टूरिस्ट एक्टिविटी को ही निर्माण की अनुमति देने का प्रावधान किया है। मास्टर प्लान में भी यहां मनोरंजन केंद्र विकसित करने की अनुमति का प्रावधान है। पी-2 इसमें तालाब किनारे खानूगांव से लेकर भैंसोड़ी तक का क्षेत्र शामिल है। यहां तालाब के फुल टैंक लेवल से 100 मीटर तक कोई निर्माण प्रतिबंधित किया है। अब यहां कोई नया निर्माण नहीं हो पाएगा। पी-3 इसमें तालाब किनारे का पूरा ग्रामीण क्षेत्र व कैचमेंट शामिल है। इसमें भोपाल जिले के 68 गांव व सीहोर जिले के 32 गांव शामिल हैं। सबसे अधिक यही क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। इसमें किसी भी प्रकार की औद्योगिक इकाई को अनुमति नहीं दी जाएगी, साथ ही भारी व्यवसायिक गतिविधि पर रोक रहेगी और रहवासी गतिविधि पर भी प्रतिबंध लगाया है। बताया जा रहा है कि यहां 1.25 हेक्टेयर से कम के फार्म हाउस भी विकसित करने पर रोक लगा दी गई है। यह रोक 361 वर्गकिमी के कैचमेंट एरिया में रहेगी।