Monday, November 10

इस बार सबसे अलग था स्वतंत्रता दिवस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीता सबका दिल

68 modiनईदिल्ली। आजादी की 68 वीं सालगिरह पर दिल्ली का लालकिला हर बार की तरह सजा था। लेकिन हां, जश्रे आजादी की फिजा इस बार जुदा थी। स्वाधीनता दिवस के मौके पर पहली बार आजाद भारत में पैदा पहले प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यह बात और है कि दशकों बाद पूर्ण बहुमत से आई सरकार के इस मुखिया ने लालकिले से खुद को प्रधानमंत्री नहीं बल्कि प्रधान सेवक बताते हुए संवाद की शुरूआत की। अपनी जनता के बीच खड़े इस जननेता के संवाद में सारा जोर पुराने र्ढेकी कई दीवारें गिराने और राष्ट्रनिर्माण का नया खाका सामने रखने पर था। नीयत नीति और नजरिए की पुरानी दीवारें गिराकर एक भारत प्रकोष्ठ।
भारत का सपना साकार करने पर उन्होंने बल दिया
बुलेटप्रूफ की आड़ नहीं पीएम मोदी के और जनता के बीच संबोधन के बीच बुलेटप्रूफ कांच की भी कोई दीवार न रहे। पीएम ने लाल किले से दिए पहले भाषण में साफ-सफाई, शौचालय व कामकाज के प्रति सोच जैसे बुनियादी मुद्दों से लेकर महिला सुरक्षा व बेटियों को बचाने की भावुक अपील तक कई मुद्दों को छुआ। साथ ही युवा शक्ति का दोहन कर देश की आयात निर्भरता घटाने के नए नीति नजरिए से लेकर पड़ोसी मुल्कों के साथ मिलकर गरीबी के खिलाफ जंग के व्यापक विजन तक अनेक आयामों को समेटा।
प्रधानमंत्री नहीं प्रधानसेवक
लिखित भाषण की प्रचलित परंपरा को तोड़ प्रधानमंत्री ने 65 मिनट के अपने संबोधन में सोच और सियासत की दीवारों पर चोट की। सांसद से लेकर आम नागरिक तक और आला सरकारी अफसरों से लेकर रास्ते से भटके युवाओं तक सभी से राष्ट्र निर्माण मिशन में साथ आने की अपील की। खुद को प्रधानसेवक बताते हुए मोदी ने जोर दिया कि अगर आप लोग 12 घंटे काम करेंगे तो मैं 13 घंटे काम करूंगा और अगर आप 14 घंटे करेंगे तो मैं 15 घंटे करूंगा।
गरीबी मिटाओ व सफाई मिशन उन्होंने दुनिया के सभी मुल्कों को मेक इन इंडिया(आइए भारत में बनाइए) के खुले न्यौता देने के साथ ही भारतीय युवाओं से अपने हुनर का इस्तेमाल कर भारत को निर्माण जगत की ताकत बनाने की भी अपील की। मोदी के संबोधन में गंदगी और गरीबी के मिटाने के लिए मिशन के तौर पर काम करने का एलान था।

युवाओं को दिखाया रास्ता: माओवाद और आतंकवाद के रास्ते पर भटके युवाओं से देश की मुख्य धारा में लौटने का भी आग्रह किया। बीते कुछ समय से बलात्कार की शर्मनाक घटनाओं पर पीड़ा जताते हुए प्रधानमंत्री ने माता-पिता से अपने लड़कों पर भी लड़कियों की तरह निगरानी रखने का आग्रह किया। वहीं लिंग अनुपात के असंतुलन को रेखांकित करते हुए बेटियों को बचाने की भावुक अपील भी कर डाली।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना: देश के हर परिवार को बैंक खाता मुहैया कराने की कोशिश। गरीब से गरीब परिवार को मिलेगा एक बैंक खाता, एक डेबिट कार्ड, और एक लाख रूपये तक के बीमा का प्रावधान। सांसद आदर्श ग्राम योजना सभी सांसद अपने क्षेत्र में 3-5 हजार की आबादी वाला एक गांव चुनें और विकास के विभिन्न पैमानों पर वहां काम करे। 2016 तक सभी सांसद एक गांव को आदर्श ग्राम बनाएं और 2019 तक दो और गावों में विकास करें। जयप्रकाश नारायण की जयंती 11 अक्टूबर को सामने आएगा योजना का ब्लूप्रिंट।
स्वच्छ भारत अभियान: गांधी जयंती 2 अक्टूबर से होगी शुरूआत। 2019 तक गांव, शहर, मोहल्ला, अस्पतला, स्कूल, मंदिर सभी क्षेत्रों को गंदगी मुक्त बनाने का लक्ष्य।
हर विद्यालय में शौचालय: एक वर्ष के भीतर सभी विद्यालयों में शौचालय सुनिश्चित करने का लक्ष्य। सांसद विकास निधि, सरकारी खजाने और कापरेरेट जगत के सहयोग से यह लक्ष्य हो पूरा।
योजना के लिए नई संस्था: देश की बदली जरूरतें पूरी करने के लिए योजना आयोग के स्थान पर बनेगी नई संस्था। उन्होंने कहा कि सरकार के भीतर चल रही सरकारों और सरकारी विभागों के आपसी मनमुटाव ने उन्हें काफी चौंकाया। मैंने इन दीवारों को गिराने की कोशिश शुरू की है ताकि सरकार विभिन्न पुजरे का जोड़ नहीं बल्कि एकाकार स्वरूप में सामने आए। मोदी ने पिछली सरकारों और पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान को भी सराहा। मोदी जिस वक्त यह कह रहे थे तो बाईं ओर करीब ही उनके पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी बैठे थे।