बाखासर से कच्छ के रण तक वाटर-वे की पहल राज्य को गुजरात के मुंद्रा से होते हुए अरब- इजराइल तक जोड़ देगा। लालसागर का विकल्प बन रहा मुंद्रा, इजराइल के लिए सुगम समुद्री मार्ग है।
गुजरात के कच्छ के रण से बाड़मेर के बाखासर तक 490 किमी तक के वाटर वे को लेकर राज्य सरकार की पहल ने समुद्री मार्ग से आयात का नया द्वार राजस्थान में खोलने के संकेत दिए है। गौरतलब है कि इजरायल के परिवहन मंत्री मिरी रेगवे ने फरवरी माह में एक्स पर वीडियो पोस्ट की थी। जिसमें मुुद्रा के बंदरगाह से संयुक्त अरब अमीरात के बंदरगाह से इजरायल तक माल जाने से इसे लालसागर का विकल्प माना ।
बाड़मेर में तेल-गैस-कोयला- खनिज पदार्थ के अथाह भण्डार है। प्रतिदिन राज्य को करीब 10 करोड़ का राजस्व तो केवल तेल से ही मिल रहा है। सूखा बंदरगाह के जरिए बाड़मेर गुजरात, अरब होते हुए सीधा इराजयल तक जुड़ने पर राज्य के लिए आयात-निर्यात का यह बड़ा केन्द्र होगा।
24 साल पहले का सपना
24 साल पहले बाड़मेर के बाखासर से गुजरात के मुंद्रा तक 150 किमी कृत्रिम नहर बनाने की योजना बनी। यहां सूखा बंदरगाह विकसित कर समुद्र से आयात का नया बंदरगाह कच्छ के रण को जोड़ते हुए बनाने की सोच थी। इस योजना पर परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी दिलचस्पी ली लेकिन यह योजना अभी सिरे नहीं चढ़ी है।
24 साल पहले बाड़मेर के बाखासर से गुजरात के मुंद्रा तक 150 किमी कृत्रिम नहर बनाने की योजना बनी। यहां सूखा बंदरगाह विकसित कर समुद्र से आयात का नया बंदरगाह कच्छ के रण को जोड़ते हुए बनाने की सोच थी। इस योजना पर परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी दिलचस्पी ली लेकिन यह योजना अभी सिरे नहीं चढ़ी है।
यह हुआ है निर्णय
हाल ही में एक कमेटी गठित हुई है जो कच्छ के रण से बाखासर तक वाटर-वे पर कार्य करेगी। 490 किमी का वाटर वे बनेगा। इसके लिए केन्द्र सरकार के निर्देश पर राज्य ने इस कमेटी का गठन किया है।
हाल ही में एक कमेटी गठित हुई है जो कच्छ के रण से बाखासर तक वाटर-वे पर कार्य करेगी। 490 किमी का वाटर वे बनेगा। इसके लिए केन्द्र सरकार के निर्देश पर राज्य ने इस कमेटी का गठन किया है।