यूपी के गोरखपुर स्थित गीता प्रेस इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। गीता प्रेस गोरखपुर वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया गया। इस ऐलान के बाद सियासी वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस को 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा पर केंद्र सरकार की खिंचाई की। कहा, गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना मानो गोडसे और सावरकर को सम्मानित करने जैसा है। इसके बाद भाजपा के कई नेताओं ने कांग्रेस को खरी-खोटी सुनाई। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस को ‘हिन्दू विरोधी’ करार दिया और लोगों से सवाल किया कि गीता प्रेस पर उसके हमले से क्या कोई हैरान है? तो मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति को देश जान चुका है।
गीता प्रेस नहीं लेगी गांधी शांति पुरस्कार राशि
गीता प्रेस के प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी ने कहा, गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया गया है। यह हमारे लिए बहुत गर्व का क्षण है। हम इस पुरस्कार के लिए भारत सरकार और प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हैं। हमने किसी भी तरह का चंदा लेने से इनकार किया है क्योंकि यह हमारा सिद्धांत है। हालांकि हम निश्चित रूप से इसके सम्मान के लिए पुरस्कार स्वीकार करेंगे।
गीता प्रेस क्या है?
गीता प्रेस 100 साल पुरानी संस्था है। यह हिंदू धार्मिक ग्रंथों को छापती है। इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मना रही है। गोरखपुर की गीता प्रेस को 2021 का ‘गांधी शांति पुरस्कार’ अहिंसक और दूसरे गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में योगदान के लिए दिया गया है।
सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा – जयराम रमेश
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मीडिया प्रभारी और महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है जो इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रहा है। अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है जिसमें वह महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।
जाकिर नाइक शांति का मसीहा, पर गीता प्रेस सांप्रदायिक – शहजाद पूनावाला
कांग्रेस को जवाब देते हुए भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस को ‘हिन्दू विरोधी’ करार दिया और लोगों से सवाल किया कि गीता प्रेस पर उसके हमले से क्या कोई हैरान है? एक अन्य ट्वीट में कहा, कांग्रेस गीता प्रेस से नफरत करती है क्योंकि सनातन और हिंदू धर्म के वास्तविक संदेश को हर नुक्कड़ पर फैलाया जाता है। कांग्रेस मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष मानती है, लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है। जाकिर नाइक शांति का मसीहा है, लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है।
देश जान चुका है कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति – नरोत्तम मिश्रा
कांग्रेस को मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जवाब देते हुए कहा, कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति को देश जान चुका है। हमारे सनातन के साहित्य के छपने का सबसे बड़ा केंद्र है गीता प्रेस, कांग्रेस को आपत्ति इसलिए हो सकती है क्योंकि वह गीता और रामायण ही सिर्फ छापते हैं। यह इनकी पीड़ा हो सकती है। यह उनकी तुष्टिकरण है। उन्होंने सौ साल में कोई सम्मान लिया नहीं है। इसके बाद भी इनको आपत्ति है। यह देश सब समझता है कि इन्हें क्यों आपत्ति है।
कांग्रेस में अब माओवादी लोग – रविशंकर
कांग्रेस के गीता प्रेस को दिए जाने वाले गांधी शांति पुरस्कार 2021 की आलोचना पर भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, कांग्रेस से क्या उम्मीद की जा सकती है जिसने राम मंदिर निर्माण की राह में रोड़े अटकाए? जो तीन तलाक का विरोध करती है … गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार पर उनकी टिप्पणी से ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है? हम इसकी निंदा करते हैं। मैं भारी मन से कहना चाहता हूं कि देश पर शासन करने वाली पार्टी में अब माओवादी मानसिकता वाले लोग हैं, वे राहुल गांधी के भी सलाहकार हैं और इसका पूरे देश को विरोध करना चाहिए।