महाकाल लोक का श्रेय लेने की होड़ आज भी कायम है। कांग्रेस का दावा है कि उनकी सरकार ने महाकाल कॉरिडोर बनाने का फैसला किया था, जबकि शिवराज सरकार दावा करती है कि उन्होंने ही इसे शुरुआत से अंजाम तक पहुंचाया। अब महाकाल लोक में चली आंधी में सप्तऋषियों में से 6 मूर्तियां क्षतिग्रस्त होने के बाद शिवराज सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री ने उलटा कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। मंत्री का कहना था कि महाकाल लोक में मूर्तियों के निर्माण की स्वीकृति कांग्रेस सरकार में दी गई थी। कांग्रेस सरकार ने ही निर्माण कार्य के लिए दो बार भुगतान किया। भ्रष्टाचार हुआ है तो कांग्रेस ने किया होगा। भाजपा सरकार ने तो गुणवत्तापूर्वक काम किया।
भोपाल में मंगलवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि महाकाल लोक बनाने का निर्णय शिवराज सरकार ने साल 2017 में लिया था। उसके लिए 100 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया। उसमें से अतिक्रमण भी शिवराज सरकार ने हटाए। महाकाल लोक में टेंडर भी हमारे समय हुआ। फिर कांग्रेस की सरकार आ गई। वर्क आर्डर और सवा साल का काम कांग्रेस की सरकार के दौरान का है। तब मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री कांग्रेस के थे।
कमलनाथ ने उठाया था कायाकल्प का बीड़ा
218 में जब कमलनाथ की सरकार थी, तब सीएम रहते हुए कमलनाथ ने महाकाल मंदिर के लिए करीब 300 करोड़ रुपए की योजना बनाई थी। इसके लिए एक कमेटी भी बनाई गई थी, जिसमें तत्कालीन पीडब्ल्यूडी व प्रभारी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, आध्यात्म विभाग के मंत्री पीसी शर्मा और नगरीय निकाय मंत्री रहे जयवर्धन सिंह शामिल थे। इनका काम था कि वो महाकाल मंदिर की व्यवस्थाओं से जुड़े लोगों, जन प्रतिनिधियों से चर्चा कर विकास और विस्तार के संबंध में जरूरी निर्णय लेंगे। कांग्रेस कार्यकाल में ही यह तय हो गया था कि मंदिर के विकास और विस्तार की योजना में प्रवेश और निर्गम, फ्रंटियर यार्ड, नंदी हाल का विस्तार, महाकाल थीम पार्क, महाकाल कॉरिडोर, धर्मशाला, रुद्र सागर की लैंड स्केपिंग, रामघाट मार्ग का सौंदर्यीकरण, पर्यटन सूचना केंद्र, रुद्र सागर झील का पुनरुद्धार, हरिफाटक पुल, यात्री सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा।
क्या कहती है कांग्रेस
जब महाकाल लोक का लोकार्पण करने के लिए पीएम मोदी उज्जैन आने वाले थे। उससे पहले भी राजनीतिक घामासान मचा था। कांग्रेस का दावा था कि महाकाल कॉरिडोर की योजना कमलनाथ सरकार में साल 2019 में बनाई गई थी। कमलनाथ ने सितंबर 2022 को कहा था कि पूरे प्रदेश व उज्जैन की जनता गवाह है कि हमारी सरकार में हमने उज्जैन के महाकाल मंदिर के विकास व विस्तार की योजना पर काम शुरू किया था, यह सोच भी हमारी थी, यह परिकल्पना भी हमारी थी। कमलनाथ ने कहा कि 17 अगस्त 2019 को जब मैं मुख्यमंत्री था। महाकाल कॉरिडोर को लेकर मैंने मंत्रालय में एक अहम बैठक बुलायी थी, जिसमें हमने महाकाल मंदिर के विकास की योजना पर काम शुरू करने का निर्णय लिया था और इसको लेकर 300 करोड़ की योजना को मूर्त रूप दिया था।
भाजपा का ऐसा था दावा
तब सरकार के गृहमंत्री ने कांग्रेस के दावे को नकारते हुए कहा था कि कमलनाथ को झूठ बोलने की आदत है। उन्हें भगवान शिव को बख्स देना चाहिए। गृहमंत्री ने आगे कहा था कि महाकाल मंदिर को विकसित करने का प्रपोजल साल 2017 में बना था और उसका डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट एक साल के भीतर बना, जब शिवराज सिंह मुख्यमंत्री थे। साल 2018 में टेंडर निकाले गे थे। इसके बाद कांग्रेस शासनकाल में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। जब शिवराज सिंह चौहान 2020 में दोबारा सत्ता में आए तब इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 856 करोड़ रुपए थीं। इसमें से 351 करोड़ रुपए पहले फेज के लिए और 310 करोड़ रुपए दूसरे भेज के लिए हैं।