नेपाल के पोखरा में रविवार को प्लेन क्रैश के बाद शुरू हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन आज भी जारी है। सेती नदी के तट पर सेना और आपदा राहत बचाव दल के कर्मी रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं। क्रैश साइट से 68 यात्रियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। जबकि चार यात्रियों की तलाश अभी भी जारी है। इस बीच रेस्क्यू ऑपरेशन टीम को क्रैश हुए विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया है। इस बॉक्स के जरिए पता लगाया जाएगा कि आखिर विमान का हादसा किस तकनीकी कारण से हुआ है। दूसरी ओर नेपाली सेना के प्रवक्ता ने बताया कि घटनास्थल से किसी भी व्यक्ति को जीवित नहीं बचाया जा सका। सेना प्रवक्ता के बयान और हादसे से जुड़ी वायरल वीडियो के आधार पर माना जा रहा है कि प्लेन पर सवार सभी 68 यात्री और चार क्रू मेंबर की मौत हो गई। हालांकि आधिकारिक रूप से अभी 68 लाशों की बरामदगी की पुष्टि की गई है। इधर कयास यह लगाया जा रहा है कि चार लापता शव बच्चों के हो सकते हैं।
कांठमाडू से पोखरा जा रहा प्लेन हुआ था क्रैश
रविवार को नेपाली एविएशन इंडस्ट्री पर तब बड़ा धब्बा लगा जब यति एयरलाइंस के 9N-ANC ATR-72 विमान ने काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से रविवार सुबह 10:33 बजे उड़ान भरी और उतरने से कुछ मिनट पहले पुराने हवाई अड्डे और नए हवाई अड्डे के बीच सेती नदी के तट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस प्लेन क्रैश में 5 भारतीय सहित 15 विदेशी और 53 नेपाली नागरिकों की मौत हो गई।
पांच सदस्यीय टीम कर रही जांच, 45 दिनों में आएगी रिपोर्ट
नेपाली अधिकारियों ने पांच सदस्यीय एक विशेष आयोग को दुर्घटना के कारणों की जांच करने का काम सौंपा है। 45 दिनों में रिपोर्ट आने की उम्मीद है। वहीं विमान हादसे को लेकर नेपाल में आज एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। नेपाल की राजधानी काठमांडू से पर्यटन नगरी पोखरा जाते हुए यह विमान हादसा हुआ।
नेपाल के प्लेन क्रैश में भारत के पांच नागरिकों की मौत हो गई है। पांच भारतीयों में से चार यूपी के गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं। जबकि पांचवां भारतीय बिहार का रहने वाला था। इन पांचों नागरिकों का शव लाने के लिए भारतीय अधिकारी नेपाल रवाना हो गए है। नेपाली अधिकारियों के अनुसार शव की पहचान की प्रक्रिया जारी है। 24 शवों की पहचान कर ली गई है। शवों की पहचान के बाद उसे परिजनों को सौंपा जाएगा।
क्या होता है ब्लैक बॉक्स, प्लेन क्रैश के बाद इसकी तलाश अहम क्यों
किसी भी प्लेन कैश की घटना के बाद उस विमान के ब्लैक बॉक्स की तलाश सबसे ज्यादा अहम होता है। ब्लैक बॉक्स हादसे का कारण बताता है। दरअसल एयरक्राफ्ट का फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (एफडीआर) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (सीवीआर), को ब्लैक बॉक्स कहा जाता है। इनमें से एक के जरिए कॉकपिट के अंदर की बातें रिकॉर्ड होती हैं, वहीं दूसरे में विमान से जुड़े आंकड़े, जैसे-गति और ऊंचाई रिकॉर्ड होती है।
प्लेन क्रैश की आधिकारिक रिपोर्ट में ब्लैक बॉक्स के डाटा का होता इस्तेमाल
यह ऑरेंज कलर का होता है जो किसी भी चीज से क्षतिग्रस्त नहीं होता है। लगभग 20,000 फीट की दूरी से इसका पता लगाया जा सकता है। इसकी बैटरी 30 दिनों तक ही चलती है, लेकिन इसका डाटा की सालों के बाद भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे में ब्लैक बॉक्स किसी भी प्लेन क्रैश के बाद हादसा क्यों हुआ इसकी आधिकारिक रिपोर्ट बनाने में सहायक होता है।