Wednesday, September 24

अमरीका को आंख दिखाने के बाद अब चीन के लिए रेड कारपेट बिछा रहा सऊदी अरब

तेल उत्पादन बढ़ाने की मांग पर अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को झटका देने के दो महीने बाद अमरीका का मित्र देश सऊदी अरब अब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए रेड कारपेट बिछा रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 7 से 10 दिसंबर की बहुप्रतीक्षित सऊदी अरब की यात्रा पर पहुंच गए हैं।

तेल उत्पादन बढ़ाने की मांग पर अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को झटका देने के दो महीने बाद अमरीका का मित्र देश सऊदी अरब अब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए रेड कारपेट बिछा रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 7 से 10 दिसंबर की बहुप्रतीक्षित सऊदी अरब की यात्रा पर हैं। चीनी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा है कि यहाँ जिनपिंग चीन-अरब राज्य शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के साथ छह अरब देशों की गल्फ कॉपरेशन काउंसिल के साथ भी बैठक में भी भाग लेंगे। जिनपिंग का सऊदी अरब का ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब सऊदी अरब और अमरीका के रिश्तों के बीच खटास बढ़ती जा रही है और प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में सऊदी अरब अब रूस और चीन के नजदीक जाता दिख रहा है। अपनी रक्षा जरूरतों के लिए पूरी तरह से अमरीका पर निर्भर रहे सऊदी अरब की विदेश में इस बदलाव को बेहद जानकार बेहद अहम मान रहे हैं।
30 अरब डॉलर के समझौते
सऊदी अरब ने कहा है कि जिनपिंग की यात्रा के दौरान देनों देशों में लगभग 30 अरब डॉलर के व्यापार समझौते होंगे। दोनों देशों की प्राथमिकताओं में ऊर्जा और बुनियादी ढांचा सौदे बताए जा रहे हैं। इस शिखर सम्मेलन के दौरान शी और प्रिंस मोहम्मद दोनों को बीजिंग के साथ खाड़ी के गहरे होते संबंधों को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। साथ ही यह भी रेखांकित होगा कि अमरीका-सऊदी संबंध कितनी दूर तक बिगड़ चुके हैं।
सऊदी अरब के नियोम मेगाप्रोजेक्ट के सलाहकार बोर्ड के सदस्य अली शिहाबी के अनुसार जिनपिंग की यह यात्रा पिछले कुछ वर्षों के दौरान दोनों देशों के संबंधों में गहरी मजबूती का चरमोत्कर्ष है। शिहाबी यह कहने से भी नहीं रुके कि, अमरीका इस बारे में चिंतित है लेकिन इसके लिए हम पहले से ही मजबूत रिश्ते को धीमा नहीं कर सकते।
अमरीका के बजाए अब चीन है सबसे बड़ा तेल खरीदार
यूएस-सऊदी संबंधों में निचला स्तर अक्टूबर में दिखा था जब अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रियाध पर तेल उत्पादन में कटौती पर रूस के साथ सहयोग करने का आरोप लगाया और इसके परिणाम दिखने की धमकी दी थी। बता दें, 2012 में यूएस-सऊदी व्यापार 76 अरब डॉलर से घटकर पिछले साल 29 अरब डॉलर हो गया और अब चीन ही सऊदी अरब के कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और चीन के तेल आयात में सऊदी अरब की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। दरअसल, अमरीका अब मध्य पूर्व से तेल का अधिक आयात नहीं करता है और काफी कुछ अपनी ही शेल इंडस्ट्री के कच्चे तेल से अपनी ईंधन जरूरतों को पूरा करता है। जबकि चीन कोविड प्रतिबंधों को ढील दे रहा है तो खाड़ी के क्षेत्रीय तेल निर्यातक चीन की योजनाओं के बारे में जानने के लिए उत्सुक होंगे।
चीन और अरब देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता
पिछले महीने संयुक्त अरब अमीरात में चीन के राजदूत झांग यिमिंग ने कहा था कि चीन और छह देशों की खाड़ी सहयोग परिषद के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता एक ‘अंतिम चरण’ में प्रवेश कर रही है। जानकारों का कहना है कि अरब देश अब अमरीका को एक विश्वसनीय साझेदार देश के रूप में नहीं देखते और वे नए बहुध्रुवीय दुनिया में नए विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।
अमरीका भी कर रहा समीक्षा
तेल उत्पादन में कटौती के मुद्दे पर अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सऊदी अरब के साथ साथ रिश्तों की समीक्षा करने की बात कही थी। ऐसे में माना जा रहा है कि अमरीका अब अरब क्षेत्र से अपनी सेनाएं घटा सकता है। यदि ऐसा होता है तो सऊदी अरब के सामने ईरान की सेना और यमन के विद्रोहियों के हमले का डर होगा, जिनसे अमरीका सुरक्षा देने का दावा करता रहा है। साथ ही सऊदी अरब अपने हथियारों की आपूर्ति के लिए भी अमरीका पर निर्भर रहा है। लेकिन पिछले दिनों अमरीका कांग्रेस से रुकावट के कारण अमरीका अब सऊदी अरब को हथियार भी निर्यात नहीं कर रहा है। इस कारण सऊदी अरब को अब एक नया हथियार आपूर्तिकर्ता देश भी चाहिए है, जिसकी कमी चीन पूरी कर सकता है।
खशोगी हत्याकांड में सऊदी प्रिंस को राहत
अमरीकी कोर्ट ने पत्रकार जमाल खशोगी हत्याकांड में सऊदी अरब के क्रॉउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को बड़ी राहत दी है। फेडरल कोर्ट ने उनके खिलाफ मामले को खारिज कर दिया है। खाशोगी की मंगेतर की ओर से दायर इस मामले में अमरीकी सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि सलमान पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। अमरीकी सरकार के इस कदम को सऊदी अरब के संबंध सुधारने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।