
दुपारिया क्षेत्र के किसान नेता राजेश यादव ने बताया कि शेरपुरा में किसान इकराम के खेत का करीब दो बीघा हिस्सा नदी फसल सहित बहा ले गई है। इसी तरह की िस्थति लतीफ खां के खेत में बनी। यादव का कहना है कि उनके परिवार के खेत में लाखों रुपए खर्च कर फेंसिंग कराई गई थी जो बारिश में बह गई। उन्होंने कहा कि ग्राम हिनौतिया, शेरपुर, दुपारिया, कस्बाखेड़ी, रसूलपुर, ऊमरखेड़ी, बंधिया, पीपरी, सतपाड़ा सराय, खेजड़ा आदि गांव में फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1965 में अब तक की सबसे बड़ी बाढ़ आई पर उस बाढ़ में भी खेतों में इस तरह का कटाव नहीं बना था। डेम का पानी प्रेशर से आने के कारण इस तरह की नौबत बनी। इन गांव को इस तरह की िस्थति से बचाने के लिए रिटर्निंग वाल बनाने की मांग प्रशासन से की जाएगी।
मटियामेट हो गई फसल
इधर ग्राम भेरोखेड़ी, घाटखेड़ी, बड़ागांव, हिरनई, कुआखेड़ी, इसी तरह वामनखेड़ा, लोदाखेड़ी, डंगरवाड़ा, सलैया, सलईखेड़ी, पथरिया, खेजड़ा, बल्लाखेड़ी दहलाखेड़ी, पीपलखेड़ा आदि क्षेत्र में भी सोयाबीन फसल को काफी नुकसान पहुुंचा है। क्षेत्र के किसान देवेंद्र गुप्ता, राजकुमार बघेल ने बताया कि फसल मटियामेट हो गई। बारिश उतरने के बाद फसल पर मिट्टी की परत जम गई है। वहीं फसल के फूल भी झड़ गए। किसानों का कहना है कि फसल इस बार अच्छी थी लेकिन अतिवृष्टि के बाद फसल से अब कोई उम्मीद नहीं रह गई है।
धान, मक्का, ज्वार, उड़द को भी नुकसान
किसानों के मुताबिक इस अतिवृष्टि ने हर फसल को नुकसान पहुंचाया है। मक्का व ज्वार की फसल टूटकर बह गई। खेतों में सिर्फ डंठल ही रह गए। ग्राम भैरोखेड़ी के किसान संजय राठी के मुताबिक धान की फसल पर मिट्टी चढ़ गई है। वहीं कई गढों की पार टूट गई जिससे धान की फसल बह गई। क्षेत्र में भैराखेड़ी सहित हुसनापुर, नारोठ, पालकी, आदि कई गांव में धान सहित सोयाबीन फसल को काफी नुकसान पहुंचा है।
————
जिले मेंं 5 लाख 27 हजार हेक्टेयर है रकबा
इधर कृषि विभाग के मुताबिक जिले में इस बार कुल प्रस्तावित रकबा 5 लाख 27 हजार है। इसमें सर्वाधिक 2 लाख 50 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन फसल है। वहीं उड़द 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में एवं धान का रकबा 70 हजार है। शेष रकबे में ज्वार, मक्का, अरहर, मूंग आदि फसल का है।
वर्जन
नुकसान का आकलन किया जा रहा है। इसके लिए सर्वे कार्य शुरू किया गया है। राजस्व के साथ ही कृषि विभाग यह सर्वे कार्य कर रहा है।
-पीके चौकसे, उप संचालक, कृषि विभाग