पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग के कारण व्यापक जलवायु परिवर्तन देख जा रहा है। इसका भारी असर यूरोप में भी दिख रहा है। यूरोप 500 साल के सबसे भीषण सूखे की मार झेल रहा है। इस महाद्वीप का बड़ा हिस्सा इसकी चपेट में है। ग्लोबल ड्रॉट ऑब्जर्वेटरी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार यूरोप का 47 प्रतिशत हिस्सा ‘चेतावनी’ की स्थिति में है, जिसका अर्थ है कि यहां की मिट्टी सूख गई है, जबकि 17 फीसदी ‘अलर्ट’ वाले इलाकों में वनस्पति पर संकट गहरा रहा है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यूरोप का पश्चिमी भाग नवंबर के अंत तक अत्यधिक गर्म मौसम का सामना कर सकता है।
यूरोप में बिगड़ते हालात
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस में साल के प्रारंभ से ही बना हुआ गंभीर सूखा अगस्त के पहले सप्ताह में और अधिक बढ़ा है। पिछले महीने वर्षा की कमी और हीटवेव की अधिकता से यूरोप में मिट्टी की नमी घटी है। इससे फ्रांस में हालात बिगड़ने का अनुमान है। आधे से ज्यादा फ्रांस की नगरपालिकाओं में जल संकट की स्थिति है और पीने का पानी टैंकरों से उपलब्ध कराया जा रहा है। यही नहीं यूरोप में हीटवेव के कारण लाखों हेक्टेयर में फैले जंगल नष्ट हो चुके हैं। पानी कम होने से कृषि उत्पादन भी गिर रहा है। वर्षों के औसत की तुलना में मक्का का 16%, सोयाबीन का 15% और सूरजमुखी का 12 फीसदी उत्पादन कम रहने का अनुमान जताया जा रहा है।