देश के नए संसद भवन की छत पर बने अशोक स्तंभ का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से अनावरण किया है, तब से इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। विपक्ष अशोक स्तंभ के डिजाइन में बदलाव को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है। विपक्ष अशोक स्तंभ के डिजाइन में छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए इसे तुरंत बदलने की मांग कर रहा है। इसके विपरीत मूर्तिकार अशोक स्तंभ के डिजाइन के साथ छेड़छाड़ के आरोप को खारिज कर रहे हैं।
विपक्ष की ओर से AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर, सीपीआई नेता थॉमस इसाक सहित अन्य नेताओं और लोगों ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। इस विवाद के बाद अब यह समझना जरूरी हो गया है कि क्या सरकार भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के साथ बदलाव कर सकती है? आपको बता दें कि भारतीय राष्ट्रीय चिन्हों के दुरुपयोग की रोकथाम के लिए एक्ट 2005 से जुड़ा हुआ है, जिसे 2007 में अपडेट किया गया है।
क्या है आरोप
विपक्ष अशोक स्तंभ के डिजाइन में छेड़छाड़ का आरोप लगा रही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि सारनाथ में अशोक के स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदलना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का एक बेशर्म अपमान है! इसके साथ ही सीपीआई नेता थॉमस इसाक ने कहा कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय प्रतीक पर दुबले, शांत और सुंदर शेरों को मांसल और खतरनाक शेरों में बदल दिया है। वहीं उन्होंने इसे हिंदुत्व परिवर्तन का मॉडल बता दिया।
क्या कहता है कानून
अशोक स्तंभ को लेकर कानून में बताया गया है कि अशोक स्तंभ को सारनाथ में अशोक के स्तंभ से लिया गया है। इसके साथ ही कानून में बताया गया है कि एक्ट के सेक्शन 6 (2)(f) के तहत सरकार राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के डिजाइन में बदलाव कर सकती है। सरकार जरूरत के हिसाब से राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के डिजाइन में बदलाव कर सकती है।
अशोक स्तंभ को लेकर कानून में बताया गया है कि अशोक स्तंभ को सारनाथ में अशोक के स्तंभ से लिया गया है। इसके साथ ही कानून में बताया गया है कि एक्ट के सेक्शन 6 (2)(f) के तहत सरकार राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के डिजाइन में बदलाव कर सकती है। सरकार जरूरत के हिसाब से राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के डिजाइन में बदलाव कर सकती है।