Sunday, October 5

पंचायत सहायकों को अब स्कूलों में लगाने की तैयारी, दूसरों को इंतजार

सीकर. प्रदेश में विद्यार्थी मित्र से पंचायत सहायक बने 23 हजार संविदाकर्मियों को अब सरकार स्कूलों में लगाने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए शिक्षा निदेशक ने खाका तैयार कर सरकार को भिजवा भी दिया है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो इसी सत्र से विद्यार्थी मित्रों की सेवाएं पंचायतों के स्थान पर स्कूलों को दी जा सकती है। खास बात यह है कि राजस्थान सिविल संविदा नियम 2022 को मंजूरी मिलते ही पंचायत सहायकों का मानदेय भी 7920 रुपए से बढ़कर लगभग 21 हजार रुपए हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार पंचायत सहायकों के चयन के समय प्रदेशभर में 27 हजार 231 पद थे। फिलहाल प्रदेशभर में 23 हजार 749 पंचायत सहायक कार्यरत है। नए संविदा नियमों के आधार पर इनका समायोजन किया जाना है। दूसरी तरफ प्रदेश में कार्यरत एक लाख संविदाकर्मियों को नियमित करने का सरकार तीन साल से दावा कर रही है। लेकिन अभी लेकिन अभी तक नियमितीकरण की राह नहीं खुल सकी है। पिछले दिनों सरकार ने संविदाकर्मियों के लिए अलग से कैडर बनाने की बात भी कही थी। लेकिन यह मामला भी अभी तक फाइलों में उलझा हुआ है।

निदेशक ने पत्र में यह लिखा

पंचायत सहायकों को लेकर प्रांरभिक शिक्षा निदेशक ने उप शासन सचिव को पत्र लिखा है। इसमें बताया कि पंचाययत सहायकों की भर्ती संविदा के आधार पर प्रदेश के सभी जिलों में तीन चरणों में की गई थी। इसमें प्रांरभिक शिक्षा निदेशक ने नए नियम की अनुशंषा की है।

लगी मुहर तो इन कार्यो का जिम्मा

पंचायत सहायकों के विद्यालयों में नियुक्ति के साथ कामकाज भी बदल जाएगा। फिलहाल पंचायत सहायक सर्वे सहित अन्य काम संभाल रहे है। अब नए प्रस्ताव के बाद इनकी सेवाएं पीईईओ के अधीन देने पर विचार किया जा रहा है।

विद्यार्थी मित्र से बने थे पंचायत सहायक

स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने पर सरकार की ओर से विद्यार्थी मित्रों को संविदा पर लगाया गया था। बाद में शिक्षा विभाग ने संविदा शिक्षकों की सेवाएं पूरी तरह समाप्त कर दी। विरोध बढऩे पर सरकार ने पंचायत सहायक भर्ती का रास्ता खोला था। दो बार भती स्थगित होने के बाद तीसरी बार में बेरोजगारों को संविदा की नौकरी दी गई थी।

2. एक लाख से अधिक संविदाकर्मी, कैसे मिलेगी राहत
सरकारी की ओर से संविदा कर्मचारियों की संख्या कभी एक लाख तो एक डेढ़ लाख बताई जाती है। जबकि कर्मचारी संगठनों के हिसाब से संविदा व मानदेय कर्मचारियों की संख्या चार लाख से अधिक बताई गई है। कर्मचारी संगठनों के हिसाब से जनता जल योजना के 6500, एनआरएचएम मैनेजमेंट के 2800, फार्मासिस्ट संविदा कर्मचारी 3000, एनयूएचएम के 2200, एमएनडीवाई के 4400, आंगनबाड़ी में करीब 1.50 लाख, मदरसा व पैराटीचर वंचित 4500, लोक जुंबिश के 2200, विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायक 27,000, नरेगा कर्मी 19000, प्रेरक 12000, समाज कल्याण विभाग के रसोइए एवं चौकीदार 910, होमगार्ड के 28,000, आईटीआई संविदा कर्मी 2500, कृषि मित्र के 17000 संविदाकर्मी लगे हैं।

भाजपा: पांच साल उलझा रहा मामला फाइलों मेंभाजपा सरकार ने 2 जनवरी 2014 को संविदाकर्मियों की समस्याओं के निराकरण के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था।इसमें तत्कालीन मंत्री राजेंद्र राठौड़ को अध्यक्ष बनाया गया था। तत्कालीन मंत्री यूनुस खान, अजय सिंह को सदस्य बनाया गया था। कमेटी में सदस्य सचिव कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव को बनाया गया था।विभिन्न विभागों की अलग-अलग परियोजनाओं में संविदा के पदों का सृजन किए जाने का दावा किया था। नियमित भर्ती की तर्ज पर संविदाकर्मियों की भर्ती के लिए अलग से आवेदन लिए जाने थे। इसके बाद ही संविदा कर्मचारियों का चयन होना था। सरकार के इस दावे के छह महीने बाद भी धरातल पर कुछ नहीं हुआ है।

कांग्रेस: नियम बने लेकिन राहत उलझी फाइलों मेंकांग्रेस ने जनवरी 2019 को संविदा कर्मचारियों की समस्या के समाधान के लिए मंत्री मंडलीय उपसमिति का गठन किया गया था। इसमें तत्कालीन ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला को अध्यक्ष बनाया गया था। तत्कालीन चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, तत्कालीन शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश और खेल मंत्री अशोक चांदना को सदस्य बनाया।

एक्सपर्ट व्यू: सभी संविदाकर्मियों को नियमित करें सरकार

कांग्रेस ने जनघोषणा पत्र में संविदाकर्मियों को स्थायी करने की घोषणा की थी। तीन साल पूरे होने के बाद भी संविदाकर्मियों को नियमित करने का तोहफा नहीं मिला है। सरकार ने संविदाकर्मियों को स्थायी करने के लिए कमेटी का भी गठन किया गया था। इसकी भी रिपोर्ट आ चुकी है। दूसरे संविदाकर्मियों के लिए भी इस तरह के प्रयास करने होंगे।