भगवान श्रीरामचंद्र जी के विदिशा पदार्पण को चिर स्थाई बनाने के लिए पं.विश्वनाथ शास्त्री ने 1901 में तत्कालीन भेलसा में श्रीरामलीला का शुभारंभ किया था। इसके बाद शहर की 121 साल पुरानी रामलीला में विदिशा के धर्माधिकारी तिराहा के पास रहने वाले चतुर्वेदी परिवार के सदस्य 4 पीढ़ियों से रामलीला में अभिनय कर रहे हैं। सबसे पहले 1901 में उमाशंकर चतुर्वेदी रामलीला में गणेशजी बने थे।
इसके 121 साल बाद रविवार को तीसरी पीढ़ी के पं.गिरधर शास्त्री ने महर्षि विश्वामित्र और चौथी पीढ़ी के उनके बेटे डा.कपिल शास्त्री महर्षि विश्वामित्र के शिष्य का अभिनय कर रहे थे। डा.कपिल शास्त्री 2001 शताब्दी वर्ष में लक्ष्मण की भूमिका भी निभा चुके हैं। उस समय उनके बड़े भाई पं.केशव शास्त्री राम का अभिनय कर रहे थे। डा.कपिल शास्त्री का कहना है कि अब उनकी 5वीं पीढ़ी के सदस्य भी रामलीला में अभिनय की तैयारी कर रहे हैं।
1901 में उमाशंकर बने थे गणेशजी
प्रो.डा.कपिल शास्त्री ने बताया कि रामलीला के शुरुआती साल 1901 में उनके परदादा पं.उमाशंकर चतुर्वेदी शास्त्री ने गणेशजी का अभिनय किया था। इसके बाद परिवार की अन्य पीढ़ियां भी उनके मार्गदर्शन में कार्य करने लगीं।
1930 में गोविंद ने निभाई थी दशरथ की भूमिका
चतुर्वेदी परिवार के ही दूसरी पीढ़ी के सदस्य धर्माधिकारी पं.गोविंद्र प्रसाद शास्त्री ने साल 1930 के आसपास चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ की भूमिका निभाई थी। बाद में कई बार वे महर्षि विश्वामित्र की भूमिका में भी नजर आते रहे। वे आखिरी समय तक रामलीला से जुड़े रहे।
50 साल पहले गिरधर शास्त्री बने थे राम
पं.गोविंद प्रसाद शास्त्री के बेटे और इसी परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य वर्तमान में धर्माधिकारी पं.गिरधर शास्त्री अब से 50 साल पहले श्रीरामचंद्र का अभिनय करते थे। रविवार को उन्होंने महर्षि विश्वामित्र का अभिनय किया।
शताब्दी वर्ष में लक्ष्मण बने डॉ. कपिल
पं.गिरधर शास्त्री के बेटे प्रो.डा.कपिल शास्त्री ने 2001 में शताब्दी वर्ष की रामलीला में लक्ष्मण की भूमिका निभाई थी। उस समय उनके अग्रज पं.केशव शास्त्री राम का अभिनय कर रहे थे। रविवार को हुई रामलीला में डा.कपिल शास्त्री महर्षि विश्वामित्र के शिष्य की भूमिका में नजर आ रहे थे।
चारों भाइयों की किलकारियों से गूंजा महल
रविवार को रामलीला में अयोध्या के नरेश महाराज दशरथ का कनक महल राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की किलकारियां गूंजा । दशरथ की सभा में ऋषि विश्वामित्र पहुंचते हैं। वे महाराज दशरथ को अपने आश्रम में राक्षसों द्वारा किए जा रहे यज्ञ कार्य में विध्वंस की जानकारी देते हैं। राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ आश्रम जाते समय मार्ग में ताड़का और सुबाहु का वध करते हैं।
आज की लीला में
17 जनवरी को रामलीला में धनुष यज्ञ और 18 जनवरी को श्रीराम बारात का आयोजन किया जाएगा।