Tuesday, September 30

मनीष हत्याकांड में गोरखपुर पुलिस की कारगुजारी:योगी के कहने पर 6 पुलिसकर्मी सस्पेंड लेकिन FIR सिर्फ 3 पर; पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी बर्बरता के सबूत, गिरफ्तारी क्यों नहीं?

कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में मौत में मामले में पुलिस की कारगुजारी पर शुरू से ही लीपापोती की कोशिश हो रही है। पहले तो पुलिस इसे हत्या मानने को ही तैयार नहीं थी। जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामले में हस्तक्षेप किया तो 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया, लेकिन अफसरों ने CM के आदेश की परवाह न करते हुए FIR में 3 पुलिसकर्मियों को ही नामजद किया। 3 को अज्ञात बता दिया। जिन्हें नामजद किया, उन्हें भी अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

इतना ही नहीं डीएम और एसएसपी पीड़ित परिवार पर इस बात के लिए दबाव बनाते रहे कि केस दर्ज होने पर 6 पुलिसकर्मियों का परिवार बर्बाद हो जाएगा। कोर्ट कचहरी की लड़ाई लंबी चलती है। वे केस दर्ज न कराएं।

तहरीर में इन 6 पुलिसकर्मियों के नाम…
मृतक की पत्नी ने पुलिस को दी तहरीर में 6 पुलिसकर्मियों को हत्या का दोषी ठहराते हुए नामजद किया था। इनमें इंस्पेक्टर रामगढ़ताल जेएन सिंह, चौकी इंचार्ज फलमंडी अक्षय मिश्रा, सब इंस्पेक्टर विजय यादव के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। जबकि तहरीर में नामजद किए गए सब इंस्पेक्टर राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव, कांस्टेबल प्रशांत कुमार की जगह 3 अज्ञात ​पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हुआ।

मनीष के एक लाख रुपए, सोने की रिंग और मोबाइल गायब
मीनाक्षी ने बताया कि गोरखपुर जाते समय मनीष के पास एक लाख रुपए से अधिक कैश थे। लेकिन घटना के बाद से अब तक न ही उनके पैसों का कुछ पता चला है और न ही उनकी सोने की रिंग, पर्स और मोबाइल मिल रहे हैं।

उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज से लाश लेकर कानपुर जाते समय हम लोग होटल पहुंचे तो वहां कमरे में बेड के नीचे एक खून से सनी तौलिया मिली। उसे पुलिस को सुपुर्द किया गया है। मीनाक्षी ने आरोप लगाया है कि पुलिस हत्या से जुड़े सभी सबूत पहले ही मिटा चुकी है, लेकिन बेड के नीचे मिली खून से सनी टॉवल से मौत के राज खुल सकते हैं।