Monday, September 29

जल्द विराजेंगे विनायक:महाराष्ट्र के कोंकण में देश का ऐसा इकलौता गणेश मंदिर, जहां लहरें मंदिर तक पहुंचती हैं

महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में स्थित सह्याद्री पर्वत शृंखला में समुद्र किनारे का गणेश मंदिर। यह देश का इकलौता मंदिर है, जहां समुद्र की लहरें इस मंदिर तक पहुंच जाती हैं। यह श्री क्षेत्र स्वयंभू मंदिर के नाम से पहचाना जाता है। इसका इतिहास 3400 साल पुराना माना जाता है। 1600 ईसा पूर्व में जिस जगह पर मंदिर था, वहां पहाड़ों के नीचे केवड़े का बगीचा था।

इस मंदिर को लेकर किंवदंती यह भी है कि उस वक्त वहां बालभटजी भिड़े ब्राह्मण रहते थे। उन पर मुगलों के वक्त संकट आया। वे गणेशजी की आराधना में जुट गए। गणेशजी प्रकट हुए। उनके निर्देश पर पूरे क्षेत्र की सफाई हुई और इस दौरान जो मूर्ति मिली, उसकी स्थापना की गई। यह भी कहा जाता है कि शिवाजी महाराज भी इस मंदिर में दर्शन करने गए थे।

मंदिर के बाहर 11 दीपमालाएं
मंदिर के बाहर 11 दीपमालाएं है। कोरोना की वजह से लगातार दूसरे साल भक्तों को गणेशजी के ऑनलाइन दर्शन करने होंगे। कोरोना से पहले हर साल गणेश चतुर्थी को पालकी प्रदक्षिणा, महापूजा होती आई है। इस मौके पर 10 हजार से ज्यादा लोग पहुंचते थे।

ये पश्चिम की रक्षा करने वाले देवता
इस गांव को गणपतिपुले कहा जाता है। उत्तर में यहां पहले बस्ती थी। आबादी बढ़ने पर गांव बन गया। इसके पश्चिम में ढलान है। कई हिस्से में रेत है। इसलिए इस गांव का नाम गणपतिपुले पड़ा। इन्हें पश्चिम का रक्षक भी कहा जाता है।