
तालिबान आज अफगानिस्तान में अपनी सरकार बनाने का ऐलान कर सकता है। इसके लिए काबुल में मंच तैयार किए गए हैं और बैनर पोस्टर छपवाए गए हैं। तालिबान ईरान की तर्ज पर नई सरकार बनाने पर विचार कर रहा है और मुल्ला हिब्तुल्लाह अखुंदजादा तालिबान सरकार का प्रमुख बनाया जा सकता है। माना जा रहा है कि आज जुमे की नमाज के बाद इसका ऐलान कर दिया जाएगा।
तालिबानी सरकार के गठन को लेकर कंधार में चल रही बैठकों की अध्यक्षता खुद अखुंदजादा कर रहा है। तालिबान के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि तालिबानी हुकूमत के सुप्रीम लीडर को अफगानिस्तान में जाईम या रहबर कहा जाएगा। मोटे तौर पर यह माना जा सकता है कि सुप्रीम लीडर का फैसला ही आखिरी होगा। यही व्यवस्था शिया बहुल देश ईरान में भी है। वहां शूरा काउंसिल है और इसके बाद संसद और राष्ट्रपति।
पंजशीर में तालिबान के खिलाफ जंग जारी
तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल समेत करीब पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है, लेकिन उसके लड़ाकों के लिए पंजशीर में घुसना मुश्किल हो रहा है। पंजशीर समर्थकों ने हाल ही में एक एक वीडियो जारी किया है, जिसमें दिख रहा है कि पहाड़ों से तालिबान लड़ाकों पर जमकर गोलियां और रॉकेट दागे जा रहे हैं। इस लड़ाई में 40 से ज्यादा तालिबानी मारे गए हैं, जबकि 19 तालिबानियों को पंजशीर की सेना ने गिरफ्तार कर लिया है।
भारत ने कहा- आतंकी गतिविधियों के लिए न हो अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल
काबुल एयरपोर्ट से फ्लाइट ऑपरेशन शुरू होने पर भारत एक बार फिर से अपने लोगों को वहां से निकालने का सिलसिला शुरू करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए इसकी जानकारी दी है। बागची ने बताया कि फिलहाल काबुल हवाई अड्डा बंद है। वहां ऑपरेशन फिर से शुरू होते ही काबुल से लोगों को निकालने के लिए अभियान शुरू करेंगे।
अफगानिस्तान में किस तरह की सरकार बनेगी? इस सवाल पर बागची ने कहा कि हम अटकलें नहीं लगा सकते। अफगानिस्तान में किस तरह की सरकार बन सकती है, इसके बारे में हमारे पास कोई ठोस जानकारी नहीं है। तालिबान से भारत की अगली बातचीत के रोडमैप के सवाल पर बागची ने बताया कि यह हां और ना की बात नहीं है। हमारा उद्देश्य है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों के लिए न हो।
काबुल एयरपोर्ट से उड़ानें जल्द शुरू होने की उम्मीद
अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के बीच काबुल एयरपोर्ट से उड़ानें जल्द शुरू होने की उम्मीद है। कतर से आई एक टेक्निकल टीम आतंकी हमले से एयरपोर्ट पर हुए नुकसान का जायजा ले रही है। बता दें 31 अगस्त को अमेरिकी सेना के काबुल एयरपोर्ट से कब्जा छोड़ने के बाद वहां से उड़ानों का संचालन बंद है। अमेरिका समेत दूसरे देश काबुल एयरपोर्ट से सेना के विमानों से अपने-अपने लोगों को एयरलिफ्ट कर रहे थे, लेकिन 31 अगस्त से काबुल एयरपोर्ट तालिबान के कब्जे में है और अब एयरपोर्ट को फिर से शुरू करने से पहले तकनीकी खामियां दूर की जा रही हैं।
पाकिस्तान का कबूलनामा: हमने तालिबान के लिए सब कुछ किया
पाकिस्तान के एक मंत्री ने इस बार तालिबान से नजदीकियों की बात कबूली है। इमरान सरकार में मंत्री शेख राशिद ने तालिबान का खुले तौर पर समर्थन करते हुए खुद को तालिबान का संरक्षक बताया है। राशिद ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा है कि हमने तालिबान के नेताओं की लंबे वक्त तक हिफाजत की है। तालिबानी नेताओं ने हमारे यहां शरण ली, शिक्षा ली और यहां घर बनाया। हमने तालिबान के लिए सब कुछ किया है।
इससे पहले 15 अगस्त को जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया, तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसे अफगानियों की आजादी बताया था। कुछ दिन पहले पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने भी तालिबान का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि तालिबान इस बार एक पॉजिटिव माइंडसेट के साथ आया है। वह महिलाओं को भी सत्ता में भागीदार बनाएगा।
अमेरिका सड़क के रास्ते भी लोगों को निकालने का प्लान बना रहा
अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट भले ही तालिबान को सौंप दिया है, लेकिन वह अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों और अफगानियों को निकालने का सिलसिला जारी रखेगा। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की अंडर सेक्रेटरी विक्टोरिया नुलैंड ने कहा है कि जो लोग अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं उन्हें निकालने के लिए हवाई और सड़क मार्ग समेत सभी विकल्प तलाशे जा रहे हैं। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने जानकारी दी है कि 31 अगस्त की रात तक 24 हजार अफगानियों समेत 31,107 लोग अफगानिस्तान से अमेरिका पहुंच चुके हैं।