
लद्दाख के पैंगॉन्ग से सेना के डिसएंगेजमेंट के बाद चीन के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि भारत और चीन एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं, बल्कि दोस्त हैं। दोनों देश एक-दूसरे की अनदेखी नहीं कर सकते, इसलिए हमें नुकसान पहुंचाने वाले काम रोकने चाहिए।
उन्होंने साफ किया कि सीमा विवाद हमें विरासत में मिला है, लेकिन यह दोनों देशों के संबंधों की पूरी कहानी नहीं है। अहम यह है कि दोनों देश विवादों को सही तरीके से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही आपसी संबंधों के विकास के लिए भी काम कर रहे हैं। डिसएंगेजमेंट के बाद यह वांग यी की भारत-चीन रिश्तों पर पहली टिप्पणी है।
उन्होंने कहा कि चीन और भारत दोस्त और सहयोगी हैं, लेकिन उनके बीच कुछ मसलों पर संदेह की स्थिति है। इस स्थिति से उबरकर दोनों देशों को देखना है कि वे अपने संबंधों को किस तरह से आगे बढ़ा सकते हैं और द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बना सकते हैं।
डिसएंगेजमेंट पर कुछ नहीं बोले वांग
हालांकि, उन्होंने दोनों देशों के बीच 10 दौर की सैन्य स्तर की बातचीत के बाद पूर्वी लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों से सैनिकों के पीछे हटने पर कुछ नहीं कहा। दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में कई महीने तक जारी गतिरोध के बाद उत्तरी और दक्षिणी पैंगॉन्ग क्षेत्र से अपने सैनिकों और हथियारों को हटा लिया था। हालांकि, कुछ पॉइंट्स पर अभी विवाद बना हुआ है।
भारतीय विदेश मंत्री से भी की थी बातचीत
विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पिछले सप्ताह करीब 75 मिनट तक टेलीफोन पर बात की थी। जयशंकर ने वांग से कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए सीमा पर शांति और स्थिरता जरूरी है। जयशंकर ने कहा था कि गतिरोध वाली सभी जगहों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्ष क्षेत्र से सैनिकों की पूरी तरह वापसी और अमन-चैन बहाली की दिशा में काम कर सकते हैं।
भारत के राजदूत ने की थी मुलाकात
इससे पहले शुक्रवार को चीन में नियुक्त भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने चीनी उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई से मुलाकात की। उन्होंने पूर्वी लद्दाख के शेष हिस्सों से दोनों देशों के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इससे सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल करने में मदद मिलेगी। साथ ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए अनुकूल माहौल भी बनेगा। दोनों देशों के सैनिकों और सैन्य साजो सामान को पैंगॉन्ग लेक एरिया से हटाने के कुछ दिनों बाद उनकी यह मुलाकात हुई थी।
