Tuesday, September 23

संघ ने फिर उठाया इंडिया बनाम भारत का मुद्दा, RSS नेता ने उठाए सवाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने एक बार फिर देश के नाम को लेकर बहस छेड़ दी है। आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबाले ने एक कार्यक्रम में कहा कि देश का नाम भारत है तो इसे ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। RSS नेता के बयान पर जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस सांसद के.सुरेश और सीपीआई सांसद पी. संतोष कुमार ने पटलवार किया है। 

RSS नेता दत्तात्रेय होसबाले ने उठाए सवाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नेता दत्तात्रेय होसबाले ने कार्यक्रम में कहा कि अंग्रेजी में यह इंडिया है और भारतीय भाषाओं में भारत, फिर कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया क्यों है? यह सवाल उठाया जाना चाहिए और इसे ठीक किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान, राष्ट्रपति भवन के निमंत्रण पत्र और 26 जनवरी को प्रधानमंत्री के निमंत्रण पत्र पर अंग्रेजी में भारत गणराज्य लिखा हुआ था।

‘ब्रिटिश शासन ने छोड़ी गहरी छाप’

आरएसएस नेता ने कहा कि हमपर ब्रिटिश शासन ने एक गहरी छाप छोड़ दी है, जो कि अभी भी भारतीय चेतना को आकार दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत में मुगल आक्रमण के दौरान गुरुकुलों और मंदिरों को नष्ट किया गया। भारतीय संस्कृति को दबाने की कोशिश की गई। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटिश शासन ने हमें यह महसूस कराया कि वे हमसे अच्छे है और इसी सोच ने हमें कमजोर बनाया।

चाहे जिस नाम से पुकारे- उमर अब्दुल्ला

आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबाले के बयान पर जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हम अपने देश को भारत, इंडिया और हिंदुस्तान कहते हैं। कोई भी जिस नाम से बोलना चाहता है, वह बोल सकता है। 

‘इंडिया नहीं भारत चाहते है’

सीपीआई सांसद पी. संतोष कुमार ने आरएसएस नेता के बयान पर कहा कि इसे विवादास्पद विषय बनाने का कोई मतलब नहीं है। आरएसएस अपने नाम से अंग्रेजी अक्षर क्यों नहीं हटा लेता। कांग्रेस सांसद के.सुरेश ने कहा कि यह आरएसएस की सोच है, वे इंडिया नहीं केवल भारत चाहते हैं। देश के लोगाें को संघ की यह नीति स्वीकार नहीं है।

मोहन भागवत भी भारत करने का कर चुके हैं आग्रह

बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब आरएसएस ने इंडिया की जगह भारत कहने की वकालात की है। इससे पहले सितंबर 2023 में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भी लोगों से इंडिया की जगह भारत कहने का आग्रह किया था। दरअसल, इस दौरान वे संघ परिवार की एक पुरानी परंपरा का हवाला दे रहे थे, जो कि आजादी से पहले से ही भारत शब्द का इस्तेमाल करती आ रही है।