प्रकृति का मूल आधार पर्यावरण ही है ।जो प्रकृति के तत्वों की रक्षा करता है।पर्यावरण का असंतुलन प्रकृति को असंतुलित करता है । प्रकृति का सौन्दर्य ही पर्यावरण से है। आज पूरी दुनिया में चारों ओर पर्यावरण की चर्चा तो हो रही है ओर चिंता भी प्रकट की जा रही है पर उसके समाधान की कोई ठोस कोशिश नहीं की जा रही तभी तो पूरी दुनिया इस असंतुलन की मार झेल रहा है।
आज प्रकृति का पूरी दुनिया ने दोहन किया है विकास कि अंधी दौड ने पर्यावरण को असंतुलित कर दिया ।प्रकृति का मूल आधार जल जमीन ओर जंगल से लेकर आसमान तक इस मानव ने अपने स्वार्थी मनसूबों से दूषित कर रखा है।
जिस तरह से मनुष्य द्वारा प्रकृति का दोहन किया जा रहा है वह स्वयं भी मनुष्य के लिए हनिकारक सावित हो रहा हें इसी तरह यदि दोहन होता रहा तो मानव सभ्यता भी खतरे में दिखाई देगी।
आज जंगलों की अवैध कटाई ने पृथ्वी को तपने के लिए मजबूर कर दिया है चारों ओर सीमेंट के जंगल दिखाई दे रहे हें वनों को काटकर बडी बडी इमारत खडी की जा रही है फैक्ट्रियां उन जंगली जानवरों की सुरक्षित जगह पर अपने पैर पसार रही हैं ।नदियां नाले पहाड़ कोई भी जगह इन पर्यावरण का दोहन करनेवालों से अछूती नहीं हैं। आज वन जीव असुरक्षित महसूस करते हुए शहरी क्षेत्र में आ रहे है जिससे कभी मानव तो कभी वन जीव आमनेसामने आ जाते है।