पटना। लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते उथल-पुथल के दौर से गुजर रही बिहार की राजनीति में गुरूवार को नाटकीय मोड़ आ गया। जदयू की धुर विरोधी रही राजद अब उसका समर्थन करेगी। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक बिहार विधानसभा में शुक्रवार को विश्वासमत पर वोटिंग होगी। इसमें लालू की पार्टी ने बिना शत्र जदयू के समर्थन का फैसला किया है। राजद विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दकी ने इस बात के संकेत दिए हैं। संवाददाता सम्मेलन कर इस बात को औपचारिक घोषणा भी की जाएगी। विधान सभा में राजद के 21 विधायक हैं। इनके समर्थन के बाद जदयू सरकार को बहुमत की समस्या नहीं रहेगी। 243 सदस्यीय विधानसभा में इस समय सदस्यों की संख्या 237 है। राजद के तीन भाजपा के दो और जदयू के एक विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। इसलिए इस समय केवल 119 विधायकों के समर्थन से बहुमत साबित हो जाएगा। भाजपा के पास 88 विधायक हैं। जबकि जदयू के पास 117 स्पीकर सहित विधायक हैं, भाकपा के एक कांग्रेस के चार और दो निर्दलीय विधायक पहले से जदयू सरकार को समर्थन दे रहे हैं। इस तरह जदयू को फिलहाल बहुमत का खतरा नहीं है। लेकिन, अगर विश्वास मत के दौरान उसके विधायक पलटी मारते हैं तो राजद का समर्थन उसके काम आ सकता है। राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि 2015 का बिहार विधान सभा चुनाव दो खेमों में बीच लड़ा जाएगा। एक खेमे में राजद, कांग्र्रेस और जदयू रहेंगी। दूसरे खेमे में भाजपा लोजपा होंगी। अगर ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति रहने पर भी भाजपा के लिए जीत वैसी आसान नहीं रह सकती है। मंत्रिमंडल का विस्तार होते ही जदयू में विरोध के स्वर उभरने लगे हैं। बुधवार को विधान पार्षद विनोद कुमार सिंह ने मंत्रिमंडल विस्तार पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। वे भूतपूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। विधान पार्षद ने कहा कि नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर मिसाल कायम की है। बिहार ही नहीं पूरे देश में इसकी तारीफ कैबिनेट में नए लोगों को जगह दिया जाना चाहिए था।