
क्या होगा स्पेस ऑब्जर्वेटरी एस्ट्रोसैट का काम?
इसरो के एक अफसर ने बताया, ”इस मिशन का मकसद स्पेस से सैटेलाइट के जरिए पृथ्वी पर होने वाले बदलावों का साइंटिफिक विश्लेषण करना है। इसमें अल्ट्रावायलेट रे, एक्स-रे, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम जैसी चीजों को यूनिवर्स से परखा जाएगा।” इसके साथ ही, मल्टी-वेवलेंथ ऑब्जर्वेटरी के जरिए तारों के बीच दूरी का भी पता लगाया जाएगा। सुपर मैसिव ब्लैक होल की मौजूदगी के बारे में भी पता लगाने में यह मदद करेगा।
इसरो के एक अफसर ने बताया, ”इस मिशन का मकसद स्पेस से सैटेलाइट के जरिए पृथ्वी पर होने वाले बदलावों का साइंटिफिक विश्लेषण करना है। इसमें अल्ट्रावायलेट रे, एक्स-रे, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम जैसी चीजों को यूनिवर्स से परखा जाएगा।” इसके साथ ही, मल्टी-वेवलेंथ ऑब्जर्वेटरी के जरिए तारों के बीच दूरी का भी पता लगाया जाएगा। सुपर मैसिव ब्लैक होल की मौजूदगी के बारे में भी पता लगाने में यह मदद करेगा।
इसरो के अलावा, चार भारतीय संस्थान- टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी – एस्ट्रोफिजिक्स और रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट भी इसमें शामिल हैं।