बुरहानपुर. शहर के लालबाग क्षेत्र से लगा दत्त मंदिर चिंचाला इलाका। गरीबों की बस्ती। यहां रहता है नासीर तड़वी का परिवार। घर में मां बजाबी, पत्नी सकवारबी, बेटे रहीम, रज्जाक और बहू सायराबी हैं। पूरा परिवार मजदूरी कर गुजर-बसर कर रहा है। गरीबी ने रहीम और रज्जाक को कभी स्कूल नहीं जाने दिया। पेट भरने के लिए परिवार पर करीब 40-50 हजार रुपए का कर्ज हो गया। परिवार के सदस्यों के अलावा घर में दो बैल और गाड़ी थी। इससे माल ढोकर परिवार कुछ रुपए जुटा लेता था।
सालभर पहले कर्ज चुकाने के लिए नासीर ने बैल जोड़ी बेच दी। इसके बाद से दोनों बेटे रहीम और रज्जाक खुद बैलगाड़ी खींचकर मंडी में पाला बेचने जा रहे हैं। दोनों रोजाना करीब आठ किमी गाड़ी खींचते हैं। रहीम की शादी हो चुकी है। पत्नी सायराबी मजदूरी के साथ घर के काम भी करती है।
पिता और मां भी मजदूरी करते हैं। रहीम और रज्जाक रोजाना किसानों से चने का पाला खरीदकर मंडी में बेचने जाते हैं। इससे वे रोजाना 500-600 रुपए कमा लेते हैं। रहिम के अनुसार परिवार चलाने की चिंता ने दूर तक गाड़ी खींचने के बाद भी कभी थकान महसूस नहीं होने दी।